Supreme Court News

सेंट्रल विस्टा पर रोक की मांग करने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से किया इन्कार, भरना होगा एक लाख का जुर्माना

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

New Delhi: Central Vista सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया, जिसने महामारी के दौरान सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने याचिका दायर करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी मंशा पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला एकदम सही है।

जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर सहमति जताई कि याचिकाकर्ता ने चुनिंदा तरीके से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुना था और अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के बारे में भी शोध नहीं किया था, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान अनुमति दी गई थी। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल का कोई कारण नहीं बनता। दरअसल, अन्या मल्होत्रा व सोहेल हाशमी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने न सिर्फ याचिका खारिज की थी बल्कि दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी किया था। 

इसे भी पढ़ेंः सहायक टाउन प्लानर नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने जेपीएससी से मांगा जवाब

अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार व वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने दिल्ली हाईकोर्ट के 31 मई के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि हाईकोर्ट ने याचिका को बिना किसी जांच के ‘फेस वैल्यू’ के आधार पर खारिज कर दिया गया। उनका कहना था कि उनकी याचिका पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित थी क्योंकि कोविड की भयावह दूसरी लहर ने दिल्ली शहर को तबाह कर दिया था और यहां की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर हमला मान लिया।

याचिका में कहा गया था, ”दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत तरीके से और बिना किसी औचित्य के याचिका को गलत इरादे से प्रेरित और वास्तविक की कमी के रूप में मानते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वास्तविक इरादे को गलत तरीके से ले लिया। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि हाईकोर्ट ने संसद के संप्रभु कार्यों के संचालन के महत्व पर विचार तो किया, लेकिन नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा के लिए राज्य के संप्रभु कर्तव्य की अनदेखी की, जोकि संविधान के अनुच्छेद- 21 का अभिन्न अंग है।

बता दें कि गत वर्ष 20 मार्च को केंद्र सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए लैंड यूज में बदलाव को लेकर अधिसूचना जारी की थी। यह अधिसूचना मध्य दिल्ली में 86 एकड़ भूमि से संबंधित है जिसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय जैसी बिल्डिंग शामिल हैं।

Rate this post

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker