राज्य के होमगार्ड जवानों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी मिली है। होमगार्ड जवानों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। होमगार्ड जवानों को समान काम के बदले समान वेतन देने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है और हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस जेके माहेश्परी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यह निर्देश दिया है। होमगार्ड के जवानों ने पुलिसकर्मियों के समान वेतन और अन्य लाभ के लिए के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अजय प्रसाद एवं अन्य ने समान काम के लिए समान वेतन देने का आग्रह करते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रार्थियों का कहना था कि होमगार्ड का पोस्ट सिविल पोस्ट है, क्योंकि वह पुलिसकर्मियों की तरह डयूटी करते हैं। नियमित पुलिसकर्मियों की तरह उन्हें भी सेवा में संबंधित लाभ दिया जाए। प्रार्थी 1984 से 1990 के बीच होमगार्ड के रूप में नियुक्त हुआ था। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 25 अगस्त 2017 को प्रार्थी एवं अन्य दूसरे होमगार्ड को लाभ देने के संबंध में कानून सम्मत निर्णय लेने का राज्य सरकार को निर्देश देते हुए इस केस को राज्य सरकार के पास भेज दिया था। लेकिन सरकार ने पुलिसकर्मियों के समान वेतन देने पर निर्णय नहीं लिया। इसके बाद एकलपीठ ने समान काम का समान वेतन देने का आदेश दिया।
इस आदेश के खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट के खंडपीठ में अपील दायर की और खंडपीठ ने भी सरकार की याचिका खारिज कर दी और एकलपीठ के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। सरकार की ओर से अदालत के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर प्रार्थियों ने अवमानना याचिका दायर की। अवमानना याचिका पर दस फरवरी 2024 को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि खंडपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर अदालत ने कहा था कि या तो सरकार सुप्रीम कोर्ट से स्थग्नादेश लाए या आदेश का पालन करे। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की याचिका खारिज कर दी और हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।