झारखंड के प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की [Read Order]

रांची। सुप्रीम कोर्ट से झारखंड सरकार को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने उक्त याचिका को जनहित याचिका नहीं मानते हुए इसकी सुनवाई से इन्कार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।

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इस संबंध में प्रह्लाद नारायण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर राज्य में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने सिर्फ नौ महीने में ही स्थायी डीजीपी कमल नयन चौबे का तबादला करते हुए प्रभारी डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति कर दी है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दिए गए आदेश का उल्लंघन है। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता वेंकेट रमण व अधिवक्ता डॉ. संदीप सिंह ने पक्ष रखा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह मामला सर्विस मैटर से जुड़ा है। ऐसे में इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता है। राज्य सरकार ने यूपीएससी को अपना जवाब भेज दिया है। यूपीएससी की ओर से डीजीपी का नाम आने पर उनकी नियुक्ति की जाएगी। तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति की गई है। इस दौरान अधिवक्ता कुमार अनुराग सिंह ने पक्ष रखने में सहयोग किया।

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