रांची। झारखंड में प्रतिबंध होने के बाद भी गुटखा और तंबाकू की खुलेआम बिक्री होने पर झारखंड हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार को इससे निपटने के लिए धरातल पर काम करने का सुझाव दिया। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार सिर्फ कागजों में ही इनकी बिक्री बंद कर दी है, जबकि तंबाकू आसानी से उपलब्ध है।
इस मामले में सरकार ने प्रतिबंध का आदेश देकर अपनी औपचारिकता पूरी कर ली है, लेकिन इसके पालन के लिए धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस कारण खुले आम प्रतिबंधित गुटखा और तंबाकू बिक रहे है। इसके बाद अदालत ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि गुटखा व तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सरकार ने क्या कार्ययोजना बनाई गई है। इसकी पूरी जानकारी देने का निर्देश अदालत ने दिया।
इसको लेकर फरियाद फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। अदालत को बताया गया कि सरकार ने वर्ष 2018 में ही गुटखा व तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाई है, लेकिन अभी भी गुटखा की बिक्री खुलेआम हो रही है। सरकार इस पर रोक लगाने के लिए गंभीरता नहीं दिखा रहा है। सरकार की ओर से बताया गया कि गुटखा और तंबाकू पर प्रतिबंध वर्ष 2018 में ही लगाया गया है और इसकी अवधि बढ़ाकर वर्ष 2021 तक कर दी गई है।
सरकार ने इसके उत्पादन, सेवन और बिक्री तीनों पर रोक लगाई है और इसकी बिक्री नहीं होने दी जा रही है। सरकार वकील ने दावा किया कि गुटखा की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगा दी गई है, तो अदालत ने कहा कि रोक तो सिर्फ कागज पर ही है। क्या इसको रोकन के लिए जमीनी स्तर पर इसकी जांच की जाती है। अभी भी इसकी बिक्री हो रही है। यदि आप कहें तो हम किसी को भेज कर गुटखा मंगा कर दिखाते हैं।
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