हाईकोर्ट का निर्देशः धुर्वा, कांके और गेतलसूद डैम के कैचमेंट एरिया को करें अतिक्रमण मुक्त
झारखंड को पानी की समस्या से बचाने के लिए लघु एवं दीर्घकालीन योजना बनाने पर सरकार करे विचार
हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ में रांची के आसपास जलस्रोतों पर अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को धुर्वा, कांके और गेतलसूद डैम के कैचमेंट क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। अदालत ने झारखंड में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघु एवं दीर्घकालीन योजना बनाने सहित अन्य बिंदुओं पर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की गई है। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि आने वाले दस सालों में रांची में पानी की गंभीर समस्या हो सकती है। इसे देखते हुए सरकार एवं रांची निगम निगम को रांची में रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं जलस्रोतों में पानी संरक्षित रखने के उपाय करने होंगे।
रांची सहित पूरे झारखंड को पानी की समस्या से बचाने के लिए लघु एवं दीर्घकालीन योजना बनाने पर सरकार को विचार करना चाहिए। अदालत ने कहा कि अगली गर्मी में पानी की समस्या से बचने के लिए जमीनी स्तर पर काम दिखना चाहिए। इस वर्ष अभी तक ज्यादा वर्षा भी नहीं हुई है, जो चिंता का विषय है। अदालत ने कहा रांची नगर निगम के दावा किया था कि रांची के 648 बहुमंजिला भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। लेकिन हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई छह अधिवक्ताओं की कमेटी ने 100 से अधिक बहुमंजिला भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच की थी। कमेटी ने पाया है कि अधिकांश भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है। अदालत ने पूछा कि कमेटी की रिपोर्ट के आलोक में रांची नगर निगम क्या कार्रवाई कर रहा है।
रांची नगर निगम की ओर से अदालत को बताया कि रांची में 300 स्क्वायर मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले मकानों के अलावा बहुमंजिला भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं रखने वालों को नोटिस जारी किया जा रहा है। लोगों को रेनवाटर हार्वेस्टिंग को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है। रांची नगर निगम की ओर से बताया गया कि बड़ा तालाब की सफाई के लिए तालाब में ई-बाल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। आठ माह में बड़ा तालाब साफ हो जाएगा।