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स्वर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना पर 6.5 हजार करोड़ खर्च, काम बंद करने पर HC ने सरकार से मांगा जवाब

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रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में स्वर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना को बंद करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने खरकई डैम का निर्माण करने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया है।

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को निर्धारित की है। इस संबंध में संतोष कुमार सोनी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।

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प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व श्रेष्ठ गौतम ने अदालत को बताया कि यह राज्य के महत्वपूर्ण परियोजना है। इसको अदालत के समक्ष पहले लाया जाना चाहिए था।

स्वर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना पर 6.5 हजार हुए खर्च

अदालत इस मामले में हस्तक्षेप कर राज्यवासियों को नुकसान से बचा सकती है। स्वर्णरेखा परियोजना के पूरा होने से यहां के लोगों को कई प्रकार का लाभ मिलेगा।

स्वर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना में अब तक 6.5 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने मार्च 2020 में इस योजना पर काम बंद करने का आदेश दिया है।

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सरकार की ओर से जारी उक्त आदेश बिल्कुल अनुचित और गैरवाजिब है। यदि परियोजना का निर्णय लिया गया तो सरकार को दोगुनी राशि केंद्र सरकार को दंड के तौर पर देनी होगी।

इस परियोजना में 6.5 हजार करोड़ खर्च हो चुका है। ऐसे में वर्तमान सरकार की ओर से अचानक से इस परियोजना का काम बंद करने का कोई औचित्य नहीं है।

यह है पूरा मामला

संतोष कुमार सोनी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1978 में तत्कालीन बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार की आपसी सहमति से स्वर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना शुरू की गई थी।

तीनों राज्यों के लोगों को अतरिक्त सिंचाई सहित अन्य सुविधा इस परियोजना के जरिए मिलना था। वर्ष 1996-97 में केंद्र सरकार ने इसके लिए राशि मुहैया कराई।

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झारखंड बनने के बाद यह परियोजना राज्य की हो गई। इस परियोजना में अबतक 6.5 हजार करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है।

खरकई नदी के जल का तीनों राज्य के बीच उचित उपयोग एवं विकास की योजनाओं के लिए कार्य प्रगति पर था। जिसमें अधिकांश कार्य पूरा हो गया है।

उपयोग में लाई जाने वाली भूमि का अधिग्रहण किया गया और इसके लिए अधिकांश लोगों को मुआवजा भी उपलब्ध करा दिया गया।

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वर्ष 2019 में परियोजना अंतिम चरण में खरकई डैम बनाया जाना था। इसके लिए टेंडर होने के बाद कार्यादेश भी जारी कर दिया गया।

सैद्धांतिक तौर पर तय हुआ था कि इस परियोजना के पूरे होने से डैम निर्माण के बाद आदियत्यपुर एवं जमशेदपुर में मानसून से होने वाले बाढ़ से छुटकारा मिलेगा।

डैम के उत्तरी एवं दक्षिणी नहर भी बनकर तैयार हो गई। डैम का कार्य आरंभ हुआ था। लेकिन मार्च 2020 में अचानक राज्य सरकार ने कार्य रोकने का आदेश दिया।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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