Bihar Caste Census: पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Bihar Caste Census: जातिगत जनगणना पर पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में वकील तान्याश्री ने अखिलेश कुमार की ओर से एक याचिका दाखिल की है। इस में पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।

एक अगस्त को पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने जातिगत जनगणना मामले में राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था और इसके खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दायर की गई है। वहीं, नीतीश कुमार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कैविएट दाखिल कर गुहार लगाई है कि उसका पक्ष जाने बगैर कोई आदेश न दिया जाए।

पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती

बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण (Bihar Caste Census) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने वाले पटना हाई कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ 3 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

याचिकाकर्ताओं में से अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। जिसमें मंगलवार (1 अगस्त) को पारित उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है।

बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण के लिए हरी झंडी

पटना हाई कोर्ट ने एक अगस्त को पारित अपने फैसले में कई याचिकाओं को खारिज करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण के लिए हरी झंडी दे दी।

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इससे पहले 4 मई को उसने सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था जो सात जनवरी को शुरू हुआ था और 15 मई को पूरा होने वाला था।

सर्वेक्षण केवल केंद्र की तरफ से किया जा सकता है!

पटना हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया कि सर्वेक्षण केवल केंद्र की तरफ से किया जा सकता है। बिहार सरकार चुनावों में फायदा पाने के लिए ऐसा कर रही है।

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पटना हाई कोर्ट ने एक अगस्त को याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, हम राज्य की कार्रवाई को पूरी तरह से वैध पाते हैं, जिसे न्याय के साथ विकास प्रदान करने के वैध उद्देश्य के साथ उचित क्षमता के साथ शुरू किया गया है।

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