क्या सरकार अदालत के आदेश से उपर है…केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया 25-25 हजार का हर्जाना

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ में मांडर के चान्हो में बनने वाले एकलव्य स्कूल का स्थान बदलने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार पर 25-25 हजार का हर्जाना लगाया है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में दोनों सरकारों का रवैया ठीक नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत का समय जानबूझ कर बर्बाद किया जा रहा है।

मामले में अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि जहां पर स्कूल का शिलान्यास हुआ था, वहीं पर हाई कोर्ट ने स्कूल बनाने के लिए अंतरिम आदेश दिया था।

जवाब नहीं देने पर लगा हर्जाना

इसके बाद नए जगह पर एकलव्य विद्यालय बनाने का क्या औचित्य है। किसकी अनुमति से पुराने स्थान को छोड़कर नए स्थान पर एकलव्य आवासीय विद्यालय को बनाने का निर्णय लिया गया। राज्य सरकार ने यथास्थिति बरकरार क्यों नहीं रखा। क्या सरकार अदालत के आदेश से ऊपर है।

इससे पूर्व सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नौ दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास किए जाने वाले स्थान पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश में बदलाव करने से इन्कार कर दिया था। बता दें कि मांडर के चान्हो में एकलव्य स्कूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी।

इसके लिए केंद्र सरकार से 5.23 करोड़ रुपये भी आवंटित किया, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा उस स्कूल का स्थान बदलने के लिए हंगामा किया गया था।

जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है और स्कूल के चयनित स्थान को बदलने का आधार क्या है।

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