हाईकोर्ट ने पूछा- आईटीआई में नियुक्ति नियमावली बनाने में इतनी देरी क्यों?

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने राज्य से सभी आईटीआई संस्थानों में रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि सरकार को रिक्त पदों को भरने में विलंब नहीं करना चाहिए। सरकार ने राज्य के युवकों को तकनीकी कौशल बनाने के लिए सभी जिलों में आईटीआई भवन बनाया है, तो इसका इस्तेमाल भी किया जाना चाहिए। रिक्त पदों को भरने के लिए जो भी प्रक्रिया करनी है उसे तुरंत पूरा करे। अदालत ने इस मामले में नौ अक्तूबर कार्मिक और श्रम सचिव को हाजिर होकर जवाब देने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान श्रम सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में हाजिर हुए। उन्होंने बताया कि राज्य में आईटीआई के प्राचार्य सहित अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति के नियमावली तैयार कर ली गई है। इसे कार्मिक विभाग को भेजी गई है। जहां से विधि विभाग होते हुए कैबिनेट भेजा जाएगा। वहां से नियमावली को मंजूरी मिलते ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए जेएसएससी को अधियाचना भेजी जाएगी। इसमें समय लगेगा। इसपर अदालत ने कहा कि इसकी साल-दर-साल प्रक्रिया नहीं चलनी चाहिए। नियमावली बनाने में इतनी देर क्यों की गई है। एक माह में इसे कैबिनेट में भेजकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए।

इसको लेकर डॉ भीम प्रभाकर ने जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने करोड़ों खर्च कर सभी जिलों में आईटीआई के नए भवनों का निर्माण कराया है। लेकिन इन संस्थानों में शिक्षक और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। शिक्षकों के नहीं रहने के कारण छात्र नामांकन नहीं ले रहे हैं और भवन भी जर्जर होने लगे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि राज्य सरकार 59 आईटीआई का संचालन कर रही है। इन संस्थानों में प्राचार्यों के पद रिक्त हैं। 700 से अधिक इंस्ट्रक्टर के पद भी खाली हैं।

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