Harmu River: हरमू नदी में अवैध निर्माण की जांच के बाद कार्रवाई नहीं होने पर HC नाराज, सर्वे रिपोर्ट मांगी

Harmu River in Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट ने हरमू नदी के उदगम स्थल का कोर्ट कमिश्नर के निरीक्षण के बाद भी आरआरडीए की ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी।

जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने प्रथम पाली में सुनवाई के दौरान आरआरडीए के उपाध्यक्ष और नगर निगम के टाउन प्लानर को द्वितीय पाली में हाजिर होने का निर्देश दिया।

द्वितीय पाली में उपाध्यक्ष अमित कुमार और टाउन प्लानर स्वप्निल मयूरेश अदालत में हाजिर हुए। अदालत ने आरआरडीए उपाध्यक्ष से पूछा कि कोर्ट कमीशनर के दौरे के बाद आरआरडीए ने क्या कार्रवाई की।

हाई कोर्ट ने पूछा- हरमू नदी का सर्वे कराया

संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अदालत ने कहा कि आरआरडीए ने हरमू नदी के उस इलाके का सर्वे क्यों नहीं कराया। वहां कितने मकान बने है, कितने अवैध है, इसके बारे में सर्वे आरआरडीए ने क्यों नहीं किया।

टाउन प्लानर वहां एडवोकेट कमिश्नर के साथ गए थे, लेकिन उसके बाद भी आरआरडीए ने अतिक्रमण पर एक्शन क्यों नहीं लिया। अतिक्रमण से हरमू नदी की चौड़ाई पर कितना असर पड़ा है, इसका भी सर्वे होना चाहिए।

अदालत ने बजरा मौजा का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट 22 दिसंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इससे पहले आरआरडीए की ओर से बजरा मौजा के चार मकानों का स्वीकृत नक्शा को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

अधिवक्ता को दो सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराने का निर्देश

कोर्ट ने नदी में अतिक्रमण की शिकायत करने वाले अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन शाहदेव को जान मारने की धमकी मामले में सरकार से पूछा कि क्या को सुरक्षा मुहैया कराई गई है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि एक सुरक्षकर्मी उन्हें उपलब्ध कराया गया है।

जिस पर कोर्ट ने कहा कि दो सुरक्षाकर्मी अधिवक्ता ज्ञान रंजन को मुहैया कराया जाना चाहिए, और सुरक्षाकर्मी ऐसा हो जो बिलकुल फिट हो, अधिक उम्र वाला पुलिस कर्मी न हो। कोर्ट ने यह पूछा कि लाल ज्ञान रंजन द्वारा दर्ज एफआईआर पर क्या करवाई हुई। जिसपर सरकार की ओर से कहा गया कि इस पर कार्रवाई जारी है।

बता दें कि पिछले दिनों नक्शा पास करने पर वसूली से संबंधित स्वतः संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ज्ञानरंजन नाथ शाहदेव ने हरमू नदीं के उद्गम स्थल पर अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया था। इसकी जांच के लिए हाई कोर्ट ने तीन अधिवक्ताओं की कमेटी बनाई थी। जिसने सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है।

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