रिश्वत लेने के दोषी को मिला संदेह का लाभ, हाई कोर्ट ने किया बरी
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने रिश्वत के मामले में सजायाफ्ता विनोद कुमार पासवान को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया है। विनोद पासवान की अपील याचिका पर अंतिम सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इस मामले में रिश्वत मांगने और उसके दिए जाने की बात को अभियोजन साबित करने में नाकाम रहा है। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए विनोद पासवान को बरी किया जाता है। हजारीबाग की निगरानी कोर्ट ने रिश्वत लेने के मामले में विनोद कुमार पासवान को दो साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ विनोद ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में सूचक अदालत में अपनी गवाही से मुकर गया। इसके अलावा विनोद कुमार ने रिश्वत की मांग की थी और उसे स्वीकार किया था, यह बात अभियोजन साबित करने में नाकाम रहा। ऐसे में निगरानी कोर्ट की सजा को निरस्त किया जाए। हालांकि इस दौरान एसीबी के अधिवक्ता की ओर से प्रार्थी की दलील का विरोध किया गया। लेकिन कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों को मानते हुए विनोद बाईज्जत बरी करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि विनोद कुमार पासवान हजारीबाग के पदमा सीओ कार्यालय में सहायक थे। वर्ष 2012 में एसीबी ने उसे 1500 रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था।
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