तीन साल पहले एसीबी ने मांगी थी प्राथमिकी की अनुमति, विभाग अब दे रहा सहमति
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली अपील याचिका पर सुनवाई हुई। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में ग्रामीण कार्य विकास विभाग ने सितंबर 2020 में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
जबकि एसीबी वर्ष 2017 में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति विभाग से मांगी थी। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में बहुत देरी की गई है। ऐसे में अब प्रार्थियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है। इस दौरान एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अदालत को बताया कि वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर में हुए सड़क निर्माण में अनियमितता का मामला सामने आने के बाद एसीबी प्रारंभिक जांच के लिए पीई दर्ज किया।
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इसके बाद सड़क की जांच के लिए तकनीकी कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी के सदस्यों का स्थानांतरण होने के कारण वर्ष 2017 में इस मामले की जांच पूरी हुई। अनियमितता की बात सही पाए जाने के इस मामले में तत्कालीन कार्यपालक अभियंता पारस कुमार और जेई दिलीप कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग से अनुमति मांगी गई थी। लेकिन विभाग की ओर से कोई उत्तर नहीं दिया गया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग ने सितंबर माह में अनुमति दी है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब है कि देवघर व पाकुड़ में सड़क निर्माण में वित्तीय अनियमितता से जुड़े मामले में तत्कालीन कार्यपालक अभियंता पारस कुमार और कनीय अभियंता दिलीप कुमार सिंह ने एसीबी के जांच को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एकल पीठ ने वर्ष 2017 में उनकी याचिका खारिज कर दी। एकलपीठ के उसी फैसले को इन्होंने खंडपीठ में चुनौती दी है।