Illegal Mining: हाईकोर्ट ने कहा- अवैध खनन बर्दास्त नहीं, पहाड़ गायब होने की कीमत पर नहीं दी जा सकती खनन की इजाजत
Ranchi: Illegal Mining झारखंड हाईकोर्ट ने अवैध खनन के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत राज्य में किसी भी तरह के अवैध खनन को अदालत बर्दाश्त नहीं करेगी। हर बार जब यह मुद्दा कोर्ट में उठाया जाता है, तो राज्य सरकार एक स्टेरियो की तरह अवैध खनन नहीं होने की बात कहते हुए शपथ दाखिल कर देती है।
लेकिन अदालत इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है। राज्य के कई जगहों पर पहाड़ों का अवैध खनन करके उसे गायब कर दिया गया है। कई जगहों पर जंगलों को काट दिया गया है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में इस मामले की सुनवाई हो रही है।
इस दौरान प्रार्थी की ओर से साहिबगंज में पहाड़ों के अवैध खनन का मुद्दा उठाया गया। वादी की ओर से एक रिपोर्ट अदालत में पेश की गई, जिसमें बताया गया कि किन जिलों में कितने पहाड़ अवैध खनन का शिकार हुए हैं। इस रिपोर्ट पर अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। राज्य सरकार को तत्काल इस पर रोक लगाने का प्रयास करना चाहिए।
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अदालत ने राज्य सरकार ने प्रार्थी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर विस्तृत जानकारी कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि सरकार सही तरीके से शपथ पत्र दाखिल करेगी। अगर अदालत को ऐसा प्रतीत हुआ कि रिपोर्ट गलत है, तो अदात इसकी स्वतंत्र एजेंसी से सत्यापन कराने पर विचार करेगी।
अदालत मौखिक रूप से कहा कि खनिज के खनन की अनुमति इस शर्त पर नहीं दी जा सकती है कि जंगल और पहाड़ ही गायब हो जाए। इस दौरान अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोडरमा में मायका के अवैध खनन और उसका निर्यात किए जाने का मुद्दा उठाया। कहा कि वहां पर माइका का खनन प्रतिबंधित है, लेकिन 54 करोड़ रुपये के अवैध माइका निर्यात कर दिया गया है।
इस दौरान हाजारीबाग के करीब तीन हजार एकड़ जंगल को रैयतियों का बताकर बेच दिया गया है। अदालत ने इस मामले पर भी जल्द सुनवाई करने की बात कही। अदालत ने राज्य सरकार से उन जिलों की सर्वे रिपोर्ट मांगी है जहां पर खनिज उपलब्ध है। अदालत का कहना था कि राज्य सरकार को खनिज कितना प्रतिशत निकालना है, इसको लेकर एक नीति बनानी चाहिए ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे।