अनुकंपा के आधार पर नौकरी में लिंग का भेदभाव नहीं कर सकता सीसीएलः हाईकोर्ट

रांची। झारखंड हाईकोर्ट में पुत्री को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के दावे को खारिज करने वाले सीसीएल के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने सीसीएल में लिंग के आधार अनुकंपा की नौकरी के दावे को भेदभावपूर्ण बताया है। अदालत ने कहा कि सीसीएल का आदेश गैरकानूनी है। इसके बाद अदालत ने सीसीएल के आदेश को निरस्त कर दिया। अदालत ने दो माह में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के आवेदन पर सीसीएल को पुनः विचार करने का आदेश दिया।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में प्रार्थी के अधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि किसी भी मामले में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के दिए जाने में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। जहां पर कानूनी रूप से पुरुष शब्द का इस्तेमाल किया गया है, वहां पर महिला शब्द को स्वतः माना जाएगा। इसके अलावा सीसीएल ने इस मामले में नियमों व हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए अनुकंपा पर नौकरी के आवेदन को खारिज किया है। इसलिए सीसीएल के आदेश को निरस्त कर देना चाहिए। सीसीएल की ओर से इसका विरोध किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सीसीएल के आदेश को भेदभाव पूर्ण बताते हुए उसे निरस्त कर दिया।

गौरतलब है कि देवदत्त सिंह सीसीएल में काम करते थे। अगस्त 2016 में उनका निधन हो गया। इस समय उनकी पुत्री शिवांगी सिंह नाबालिग थी। शिवांगी सिंह की मां मीना देवी ने सितंबर 2017 व मार्च 2018 में सीसीएल में अनुकंपा के आधार नौकरी देने के लिए आवेदन दिया। लेकिन सीसीएल ने यनके आवेदन को निरस्त कर दिया और कहा कि सिर्फ नाबालिग पुत्र का ही लाइव रोस्टर होता और अनुकंपा के आधार पर नौकरी का दावा माना जाता है। बेटी होने के नाते उनका दावा नहीं बनता है। इसके बाद मीना देवी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

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