घूसखोर कार्यपालक अभियंता की सजा बरकरार, हाईकोर्ट ने खारिज की अपील याचिका
रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रिश्वत लेने के मामले में सजायाफ्ता तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सोनेलाल दास को राहत देने से इन्कार कर दिया। जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने इस मामले में कार्यपालक अभियंता को मिली सजा को बरकरार रखा है और उनकी अपील याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इसलिए निचली अदालत का आदेश सही है। अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। अदालत मामले में जब्त रिश्वत की राशि को सूचक को देने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अदालत को बताया कि सोनेलाल दास चाईबासा के भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता के पद पर कार्यरत थे। एसीबी ने इन्हें 80 हजार रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। इन्होंने संवेदक के काम पूरा होने के बाद बकाया राशि देने के एवज में मांगी थी। निचली अदालत में अभियोजन की ओर से रिश्वत की मांग, स्वीकृति और पैसे बरामदगी को साबित किया है।
ऐसे में अपीलार्थी को राहत नहीं दी जा सकती है। वहीं, अपीलार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में स्वतंत्र गवाह अपनी गवाही से मुकर गए हैं। वहीं, अभियोजन के गवाहों के बयानों में विरोधाभास भी है। ऐसे में अपीलार्थी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। लेकिन अदालत ने अपीलार्थी की दलीलों को नकार दिया और उनकी अपील याचिका को खारिज करते हुए सजा बरकरार रखा।
गौरतलब है कि संवेदक जितेंद्र चौबे को चाईबासा जिला स्कूल की मरम्मत कार्य मिला था। पूरा कार्य 18 लाख रुपये में किया जाना था। संवेदक ने कार्य पूरा होने के बाद बकाया आठ लाख रुपये के लिए कार्यपालक अभियंता से संपर्क किया। आठ लाख रुपये निर्गत करने के एवज में कार्यपालक अभियंता सोनेलाल दास ने संवेदक से डेढ़ लाख रुपये रिश्वत की मांग की। आपसी सहमित के बाद अस्सी हजार रुपये देना तय हुआ।
इसबीच संवेदक ने इसकी शिकायत एसीबी से कर दी। जाल बिछाकर एसीबी ने 28 मार्च 2014 को सोनेलाल को घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान उनके आवास पर छापेमारी हुई, जहां से तीन लाख रुपये कैश बरामद हुए थे। चाईबासा निगरानी कोर्ट ने दस दिसंबर 2019 को इस मामले में सोनेलाल दास को छह साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाया है।
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