Supreme Court News

Plot Allotment: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विवेकाधीन प्लाट आवंटन में चलता है भाई-भतीजावाद; खत्म होनी चाहिए ऐसी व्यवस्था

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Ranchi: Plot Allotment सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों का आवंटन पारदर्शी होना चाहिए। साथ ही विवेकाधीन कोटे के आधार पर आवंटन, विशेष रूप से भूखंडों का आवंटन खत्म किया जाए, क्योंकि इसमें अनिवार्य रूप से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पक्षपात होता है। जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों का आवंटन पारदर्शी, निष्पक्ष और गैर-मनमाना होना चाहिए। ऐसे मामलों में विचार करते समय सिर्फ सार्वजनिक हित का विचार किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि विवेकाधीन कोटे में भूखंडों का आवंटन सत्ता में बैठे व्यक्ति या लोक सेवकों की मर्जी से नहीं हो सकता। विवेकाधीन कोटे के आधार पर सरकारी उदारता के आवंटन को खत्म करने का समय आ गया है। क्योंकि इससे भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पक्षपात को बढ़ावा मिलता है।

इसे भी पढ़ेंः Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्‍पणी, पत्रकारों को दबाने के लिए नहीं हो सरकारी तंत्र का इस्तेमाल

पीठ ने कहा कि जब एक लोकतांत्रिक सरकार अपने विवेक से प्राप्तकर्ताओं का चयन बड़े पैमाने पर करती है तो विवेक का प्रयोग निष्पक्ष, तर्कसंगत, समझदारी से, निष्पक्ष रूप से और गैर मनमाने तरीके से किया जाना चाहिए। पीठ की ओर से निर्णय लिखने वाले जस्टिस शाह ने कहा अक्सर देखा गया है कि विवेकाधीन कोटे के तहत भूखंडों का आवंटन करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का शायद ही कभी पालन किया जाता हो।

ऐसी स्थिति में विवेकाधीन कोटा खत्म करना सबसे अच्छी बात है। सार्वजनिक संपत्तियों, भूखंडों का आवंटन सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार द्वारा दायर एक याचिका को मंजूरी देने के साथ राज्य के तीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने का रास्ता साफ कर दिया। इन अधिकारियों ने अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को कम कीमत पर भुवनेश्र्वर में एक वाणिज्यिक परिसर में गुप्त तरीके से महंगी जमीन आवंटित कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही रद करने वाले हाई कोर्ट के फैसले को यह कहते हुए रद कर दिया कि उसने सुबूतों की जांच ऐसे शुरू कर दी जैसे कि वह मिनी ट्रायल कर रही हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों जिनमें दबे कुचले वर्ग को प्लाट आवंटित करने के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाते हों उनमें भी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के साथ आवंटन निष्पक्ष होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों को प्लाट आवंटन में अनियमितता करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

Rate this post

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker