Physical Hearing: एसओपी पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जताई आपत्ति, चीफ जस्टिस को लिखा पत्र 

New Delhi: Physical Hearing in Supreme Court सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण को पत्र लिखकर कोर्ट रूम में सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) पर आपत्ति जताई है। एससीबीए के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने एसओपी को ‘नॉन-स्टार्टर’ करार दिया है क्योंकि बार के सदस्य कई शर्तों के साथ कोर्टरूम का विकल्प नहीं लेना चाहेंगे।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लगभग डेढ़ साल बाद फिर से कोर्ट रूम में सुनवाई का निर्णय लिया है। चीफ जस्टिस को लिखे अपने पत्र में एसीईबीए ने कहा है कि एसओपी, विशेष पास के बिना उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में वकीलों के प्रवेश पर रोक लगाता है। इसमें कहा गया है कि प्रतिबंध केवल अदालतों कक्ष में जाने के संबंध में होना चाहिए न कि उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में प्रवेश पर होना चाहिए।

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कहा गया है कि प्रॉक्सिमिटी कार्ड के माध्यम से वकीलों को अदालत परिसर में जाने की इजाजत होनी चाहिए। साथ ही एससीबीए ने प्रत्येक अदालत कक्ष में लोगों की संख्या को बीस तक सीमित करने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह भी मनमाना है क्योंकि कोर्ट रूम का आकार काफी भिन्न होता है। कोर्ट रूम में प्रवेश कोर्ट रूम के आकार के आधार पर होनी चाहिए और बीस की संख्या को केवल सबसे छोटे कोर्ट रूम में ही उचित ठहराया जा सकता है।

इसके अलावा, किसी विशेष मामले में बीस से अधिक लोगों की संख्या बढ़ने पर मामले को अंतिम समय में स्थगित करने का न्यायाधीश को दिया गया विवेक भी अनुचित है क्योंकि इससे अदालत में बहुत सारी सुनवाई बाधित होगी।

पत्र मे कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में कोविड-19 मामलों की संख्या में काफी गिरावट आई है और राष्ट्रीय राजधानी में सकारात्मकता दर 0.4 प्रतिशत है, साथ ही आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो गया है। एससीबीए ने आग्रह किया है कि अब सुनवाई पारंपरिक तरीके से होनी चाहिए।

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