झारखंड के परिवहन विभाग की संपत्ति जब्त, HC ने कामर्शियल कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

काम के बाद भुगतान नहीं करने पर झारखंड एफएफपी बिल्डिंग स्थित परिवहन विभाग के कार्यालय संपत्ति अटैच करने के कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने रोक लगाते हुए प्रतिवादी केएस सॉफ्टनेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

जब्ती के आदेश के खिलाफ परिवहन विभाग ने दाखिल की याचिका

कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश के खिलाफ परिवहन विभाग ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। झारखंड सरकार के परिवहन विभाग के धुर्वा स्थित परिवहन विभाग की एफएफपी बिल्डिंग स्थित कार्यालय की पूरी संपत्ति सिविल कोर्ट की टीम ने अटैच कर ली थी।

मुंबई की कंपनी मेसर्स केएस सॉफ्टनेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ परिवहन विभाग झारखंड सरकार ने 2004 में नौ इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने का अनुबंध किया था। लेकिन दो साल बीतने के बाद भी कंपनी को केवल पांच स्थानों पर जमीन दी गई।

उस पर भी अलग-अलग विभागों से क्लियरेंस नहीं दिया गया। 12 अप्रैल 2013 को जमीन अधिग्रहण और अन्य समस्याओं को देखते हुए राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव द्वारा काम को रोक दिया गया। इतना ही नहीं बाद में बिना किसी सूचना के अनुबंध को रद कर दिया गया।

सरकार की कमेटी ने भुगतान का दिया था आदेश

कंपनी के किए गए काम के भुगतान के लिए झारखंड सरकार द्वारा पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। कमेटी ने सभी बिंदुओं पर जांच करने के बाद पाया कि कंपनी को 10.06 करोड़ रुपये से अधिक देय है।

जब कंपनी को इसके बाद भी भुगतान नहीं किया गया तो झारखंड हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त जस्टिस अमरेश्वर सहाय को मध्यस्थ नियुक्त किया गया। उन्होंने अंतरिम अवार्ड के रूप में कंपनी को 10.06 करोड़ रुपये 15 फीसदी ब्याज की दर से 19 दिसंबर 2017 से दिए जाने का निर्देश दिया।

जब राज्य सरकार ने यह भुगतान कंपनी को नहीं दिया गया तब कंपनी ने रांची सिविल कोर्ट में केस दायर किया। इस पर सुनवाई करते हुए कामर्शियल कोर्ट ने परिवहन विभाग की संपत्ति अटैच करने का आदेश दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन की टीम ने परिवहन विभाग की संपत्ति को अटैच कर लिया।

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