अपराधी को अपने बचाव का मौका देना समाज का दायित्व है: जस्टिस यूयू ललित
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि व्यवस्थित समाज के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह एक अपराधी को अपना बचाव करने का हरसंभव अवसर उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि हालांकि व्यवस्थित समाज के लिए एक अपराधी को न्याय के दायरे में लाकर उसके किए का दंड दिया जाना चाहिए लेकिन कानूनी प्रतिनिधित्व हर किसी के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
जस्टिस ललित गुरुग्राम में हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण के ‘सभी तक न्याय की पहुंच के लिए सेवाओं की गुणवत्ता महत्वपूर्ण’ अभियान की शुरुआत के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सच है कि एक व्यवस्थित समाज के लिए अपराधी को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए, एक अपराधी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और एक अपराधी को उसके गलत कामों की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही एक व्यवस्थित समाज में, समाज के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह उसे बचाव का हर संभव अवसर उपलब्ध कराए।
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उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ वर्ष के दौरान जब कोविड-19 के कारण संपूर्ण मानवता रक्षात्मक मुद्रा में थी और डिजिटल मंच समाधान के मंच के तौर पर उभरे। उन्होंने कहा कि सभी बातचीत, चाहे सार्वजनिक कार्यालयों हो या अन्य स्थल, यहां तक की मनोरंजन और अन्य चीजें भी महामारी के कारण पूरी तरह से लीक से हट गए थे। हालांकि स्थिति ने हमें समय के साथ बदलाव, नवोन्मेषी होना सिखाया और अपने अंदर से श्रेष्ठ निकालने का मौका दिया।
उन्होंने कहा कि इसने हमें सिखाया कि डिजिटल मंच समाधान का जरिया हो सकता है, जहां हमारी कई समस्याएं सुलझ सकती हैं। उन्होंने कहा कि आज सभी अदालतें डिजिटल माध्यमों से कामकाज कर रही हैं। जस्टसि ललित ने राज्य में सभी 22 जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (डीएलएसए) में वीडियो कॉन्फ्रेंस सेवा का भी उद्घाटन किया, यह एक संवादात्मक मंच है जो कानून के सहायक वकीलों और मुवक्किलों में संवादहीनता को कम करेगा।