अतिक्रमणः हाईकोर्ट ने कहा- मालिक खुद हटा लें अतिक्रमण, नहीं तो वसूला जाएगा हटाने का खर्च

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट में रांची के हिनू नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने नदी की जमीन को हर हाल में अतिक्रमण मुक्त करने को कहा है।

अदालत ने अतिक्रमण कर बनाए गए व्यवसायिक भवन की चारदिवारी को गलत बता कर मालिक को चेतावनी देते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए अंतिम मौका दिया है। अदालत ने कहा कि भवन मालिक खुद अतिक्रमण हटा लें।

इसके लिए अदालत ने मकान मालिक को दो माह का समय दिया गया है। अदालत ने कहा कि अगर इस अवधि में अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तो जिला प्रशासन और रांची नगर निगम अतिक्रमण हटाने के लिए स्वतंत्र है। ऐसे में अतिक्रमण हटाने का सारा खर्चा भवन के मालिक से वसूल किया जाएगा।

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इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान भवन मालिक की ओर से कहा गया कि जिला प्रशासन की ओर से की गई मापी गलत है।

इस पर अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर ही जिला प्रशासन और नगर नगर की टीम ने उक्त जमीन की मापी की है। इसमें पाया गया कि भवन की चारदीवारी नदी की जमीन पर बनी है। इसलिए इसे तोड़ा जाना चाहिए।

इसके बाद अदालत ने माना कि उक्त भवन की चारदीवारी अतिक्रमण कर बनाई गई है। अदालत ने कहा कि नगर निगम की ओर से की गई जमीन की मापी सही है। चारदीवारी अतिक्रमण कर नदी की जमीन पर की गई है, जो कि बिल्कुल गलत है।

अदालत ने मकान मालिक को दो माह में अतिक्रमण हटाने कर चारदीवारी अपनी जमीन में बनाने का निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी। बता दें कि हिनू नदी के पास निर्मित वोडाफोन कार्यालय के मालिक ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उनके द्वारा अतिक्रमण नहीं किया गया है।

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