नियुक्ति घोटालाः सरकार ने HC से कहा- जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की जांच रिपोर्ट विधानसभा के शीतकालीन सत्र में होगी पेश

झारखंड विधानसभा में नियुक्ति घोटाला मामले में कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि जस्टिस विक्रमादित्य की जांच रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। इसके बाद ही अदालत में पेश किया जाएगा।

इसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नियुक्ति घोटाला की जांच रिपोर्ट सरकार को मिल गई है। 15 दिसंबर से झारखंड विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है।

जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए बने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में रखी जाएगी। इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट के आलोक में समुचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।

विधानसभा नियुक्ति घोटाला को लेकर हो रही सुनवाई

सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पियूष चित्रेश और झारखंड विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार और अंकितेश कुमार झा पक्ष रखा।

पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया था कि जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिल चुकी है, अब आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व में हाई कोर्ट ने विधानसभा सचिव से नियुक्ति घोटाला को लेकर बनी जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट मांगी थी। इस पर विधानसभा सचिव की ओर से बताया गया था कि यह रिपोर्ट जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग के पास है, रिपोर्ट उनसे मांगा गया है, लेकिन जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट अब तक विधानसभा के पास नहीं पहुंची है।

क्या है पूरा मामला

नियुक्ति घोटाला को लेकर शिव शंकर शर्मा की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। प्रार्थी के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में आयोग बनी थी।

जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे।

इस पर सुनवाई विधानसभा की ओर से बताया गया था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरीके से स्पष्ट नहीं थी। जिस कारण जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली आयोग बना है।

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