Menstrual Hygiene: मासिक धर्म स्वच्छता नीति बनाने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, 31 अगस्त तक का समय
मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों को चेतावनी दी जिन्होंने स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर राष्ट्रीय नीति बनाने को लेकर अब तक केंद्र सरकार को जवाब नहीं सौंपा है।
हाल ही में केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसे अब तक केवल चार राज्यों की ही इसपर प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है, शेष की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।
शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल को केंद्र से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार करने और स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों की मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एक मॉडल तैयार करने को कहा था।
राज्यों को 31 अगस्त तक का दिया समय
इस संबंध में केंद्र सरकार से प्राप्त सूचना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अदालत ने कहा, 31 अगस्त तक अगर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसा करने में विफल रहे तो इस दिशा में कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, जो राज्य डिफॉल्ट कर रहे हैं, उन्हें नोटिस दिया गया है। आगे कोई डिफॉल्ट होने पर अदालत कानून का सहारा लेने के लिए बाध्य होगी।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार को अब तक केवल चार राज्यों- हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से ही इनपुट प्राप्त हुआ है।
स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता की मांग
शीर्ष अदालत ने कहा, यह अत्यंत महत्वपूर्ण मामला है, केंद्र को सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त सभी स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन पर समान राष्ट्रीय नीति लागू करने के लिए तेजी दिखाने की आवश्यकता है।
यह उस याचिका से जुड़ा मुद्दा है जिसमें केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली प्रत्येक छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड और अलग शौचालय का प्रावधान सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
कई राज्यों में नहीं हैं पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं
इससे पहले 10 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ समन्वय करने और राष्ट्रीय नीति तैयार करने के लिए डेटा एकत्र करने हेतु स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया था।
इसके साथ निर्देश दिया गया था कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपनी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन रणनीतियों और योजनाओं को चार सप्ताह की अवधि के भीतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालन समूह को प्रस्तुत करना होगा।
यहां बता दें है कि देश के कई राज्यों में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी स्कूली छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई शहरों में स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है जो काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति है। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता की आवश्यकताओं को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट करते रहे हैं।