भाजपा के कांके विधायक समरी लाल के जाति प्रमाणपत्र मामले में राज्य सरकार और कांग्रेस नेता सुरेश बैठा ने गुरुवार को अपनी अपील याचिका वापस ले ली है। समरीलाल ने भी अपनी अपील याचिका वापस ले ली है। अपील याचिकाएं वापस लेने के बाद राज्य की जाति छानबीन समिति को समरीलाल के मामले में अंतिम आदेश जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने समरीलाल के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए उसे निरस्त करने के आदेश रद्द कर दिया था।
अदालत ने छानबीन समिति को यह छूट दी थी कि वह चाहे तो दोबारा जांच कर सकती है। हाईकोर्ट के एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ सरकार, कांग्रेस नेता सुरेश बैठा ने खंडपीठ में अपील दायर की थी। समरीलाल ने भी इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी और कहा था कि जब जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया है तो समिति को दोबारा जांच की छूट नहीं दी जा सकती। इस पर अदालत ने कहा था कि समिति जांच जारी रख सकती है, लेकिन अंतिम आदेश मामला कोर्ट में लंबित रहने के दौरान जारी नहीं कर सकती।
उधर समरीलाल के निर्वाचन को भी कांग्रेस नेता सुरेश बैठा ने चुनौती दी थी। इसमें भी उनके जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए समरीलाल का निर्वाचन रद्द करने का आग्रह किया गया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि निर्वाचन याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली गयी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके बाद सभी ने अपील याचिकाएं वापस ले लीं। विधायक समरीलाल को राजस्थान का मूल निवासी होने का आरोप लगाते हुए उनके जाति प्रमाणपत्र को गलत बताया गया था और उसे रद्द करने का शिकायत सरकार से की गयी थी। सरकार के जाति छानबीन समिति ने जांच के बाद प्रमाणपत्र रद्द कर दिया था।