रांचीः रांची में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सरकार के जवाब का प्रार्थी ने विरोध किया है। प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार ने 50 से अधिक बेड वाले अस्पतालों के पास ही नो साइलेंस जोन बनाने की बात कही है।
सरकार के जवाब से स्पष्ट हो रहा है कि 45 बेड वाले अस्पताल को साइलेंस जोन में शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार का यह जवाब सही नहीं है। साइलेंस जोन के निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी किया है। सरकार को इसका पालन करना चाहिए।
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इस पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सुनवाई 14 सितंबर को निर्धारित करते हुए प्रार्थी को छूट दी कि यदि वह चाहे तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश दाखिल कर सकते हैं।
ध्वनि प्रदूषण रोकने का हो रहा उपाय
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि सरकारी अस्पताल और आयुष्मान भारत के तहत आने वाले अस्पतालों के 50 मीटर तक साइलेंट जोन लगाया गया है।
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लाउडस्पीकर और साउंड वालों के साथ जिला प्रशासन ने बैठक की है । उन्हें बताया गया है कि रात के 10:30 बजे के बाद लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करें।
इस संबंध में झारखंड सिविल सोसाइटी के कोर कमेटी के सदस्य विकास सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के माध्यम से अदालत से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है।
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उन्होंने याचिका के माध्यम से यह आरोप लगाया है कि सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सिर्फ कागजी कार्रवाई हो रही है।