झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में रिम्स में छात्रावास का निर्माण करने वाली कंपनी विजेता कंस्ट्रक्शन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने झारखंड भवन निर्माण निगम के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी के समझौते (एग्रीमेंट) को रद किया गया था।
अदालत ने आदेश में कहा है कि विजेता कंपनी रिम्स में छात्रावास बनाने का कार्य हर हाल में 31 जनवरी 2024 तक पूरा कर लें। यदि किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं होता है तो संबंधित प्राधिकार से समय बढ़ाने के लिए कंपनी आग्रह कर सकती है।
रिम्स में एक हजार कमरों का बन रहा छात्रावास
रिम्स परिसर में पांच सौ कमरे का लड़कों और पांच सौ कमरों का लड़कियों के लिए छात्रावास बनाने कार्य विजेता कंस्ट्रक्शन को मिला था। जिसके निर्माण में देर हुई। काम पूरा नहीं होने के कारण समझौता रद करते हुए जमा राशि जब्त कर ली गई थी।
जिसके खिलाफ विजेता कंस्ट्रक्शन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत कोबताया कि कंपनी ने 97 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है।
विजेता कंपनी में 97 प्रतिशत पूरा किया काम
विभाग की ओर से 95 प्रतिशत कार्य पूरा होने की बात कही जा रही है। ऐसे में समझौता रद करने का कोई औचित्य नहीं है। भवन निर्माण निगम की ओर से पारित आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है।
अदालत ने पूर्व में झारखंड भवन निमार्ण निगम को काम का आकलन करने का निर्देश दिया था। इस पर अदालत ने कहा कि जब लगभग काम पूरा हो चुका है तो बचे हुए काम के लिए दोबारा टेंडर करने से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होगा।
अदालत ने विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी को अपने अंडरटेकिंग के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 31 जनवरी 2024 तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है।
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