Supreme Court News

कैदियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का नालसा से अनुरोध, देशव्यापी एसओपी जारी करने पर करे विचार

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

New Delhi: Prisoners Release सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) से कानून के प्रावधानों के अनुसार कैदियों की समय पूर्व रिहाई के लिए एकसमान देशव्यापी एसओपी जारी करने पर विचार करने का अनुरोध किया है। कैदियों के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से शीर्ष कोर्ट ने यह आग्रह किया है। 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हत्या के मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा की पुष्टि करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। वकील डॉ. राजीव नंदा को इस मामले में न्याय मित्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा नामित किया गया था। 

अदालत ने कहा कि कि मौजूदा मामले में जिन तथ्यों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया गया है उसे देखते हुए एक सामान्य निर्देश की आवश्यकता है। लिहाजा पीठ ने निर्देश दिया है कि यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सुनिश्चित करे कि उसके पैनल के वकील यूपी राज्य के भीतर हर जेल का दौरा करें और दोषियों की सजा की प्रकृति, सजा की अवधि और सजा काटने की अवधि आदि की जांच के बाद सलाह दें।

इसे भी पढ़ेंः चेक बाउंस के मामले पर हाईकोर्ट ने कहा- किसी भी स्तर पर हो सकता है समझौता, आरोपित की सजा रद

दोषियों को उचित आवेदन का मसौदा तैयार करने में उनकी सहायता करें ताकि उन्हें कानून के अनुसार समय से पहले रिहाई के संबंध में उपलब्ध विकल्पों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। अदालत ने कहा है कि एक बार इस तरह के आवेदन दायर होने के बाद अथॉरिटी द्वारा तीन महीने की अवधि के भीतर उनका निपटारा किया जाना चाहिए।

अदालत ने इस आदेश की प्रति को यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, राष्ट्रीय  विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और नालसा के  राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। अदालत ने नालसा से कानून के प्रावधानों के अनुसार समय से पहले रिहाई को सुरक्षित करने के लिए एकसमान देशव्यापी एसओपी जारी करने पर विचार करने का अनुरोध किया है।

अदालत ने डॉ नंदा से अनुरोध है कि वह इस मुद्दों पर अदालत की सहायता जारी रखें। वहीं मौजूदा मामले के बारे में पीठ ने कहा कि दोषियों की सजा (उम्रकैद) की पुष्टि करने के हाईकोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है। यह कहते हुए पीठ ने सभी एसएलपी को खारिज कर दिया।

अदालत ने पाया कि आगरा सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक द्वारा 26 जून 2021 को जारी किए गए हिरासत प्रमाण पत्र के मुताबिक दोषी 15 साल 11 महीने (बिना छूट के 19 साल एक महीना) जेल में बिता चुका है। लिहाजा पीठ ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक से कहा है कि वह दोषी को समय पूर्व रिहाई के लिए आवेदन करने के उसके अधिकार से अवगत कराएं।

Rate this post

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker