अधिवक्ताओं ने नहीं किया न्यायिक कार्य, हजारों मामले प्रभावित
Ranchi: सिविल कोर्ट रांची के अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को अधिवक्ता(संशोधन) विधेयक-2025 का जबदस्त विरोध प्रदर्शन किया। विधेयक के विरोध में अधिवक्ताओं ने एक जूट होकर नए बार भवन परिसर में गोलबंद हुए और वहां से अल्बर्ट एक्का चौक पर शांतिपूर्ण पैदल मार्च निकाल कर विरोध जताया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एसपी अग्रवाल एवं महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने किया। कहा कि विधेयक पूरी तरह से अधिवक्ता की आजादी के खिलाफ है। इसको कोई भी अधिवक्ता समाज नहीं मानेगा। साथ ही अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को अपने आप से न्यायिक कार्य से अलग रखा। जिसके कारण हजारों मामलों की सुनवाई पूरी तरह से बाधित रही। विरोध प्रदर्शन को लेकर बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी कमेटी की बैठक गुरुवार को हुई थी। जिसमें शांति मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन का निर्णय लिया गया था।
अधिवक्ता नहीं करे सकें न्यायिक कार्य का बहिष्कारः
अधिवक्ता की किसी भी लापरवाही या कदाचार के कारण उनके मुवक्किल को नुकसान होता है तो प्रस्तावित नई कानून के तहत उनको इसकी भरपाई करनी होगी। इतना ही नहीं आए दिन किसी बड़ी घटना के बाद अधिवक्ता हड़ताल या न्यायालय का बहिष्कार करते हैं। अब इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई जा रही है। अर्थात् अधिवक्ता के साथ किसी प्रकार की घटना घटती है और उस पर कार्यवाही नहीं होने के बावजूद अब वह कार्य बहिष्कार कर विरोध नहीं जता पाएंगे। हाल ही में प्रस्तावित अधिवक्ता(संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा जारी किया गया है। इस संशोधन से वकीलों पर लगाया गया लगाम जा रहा है। इस प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया समेत देश भर के जिला बार एसोसिएशन विरोध कर रहा है। पिछले दिनों इस संशोधन के खिलाफ बीसीआई ने देश भर के जिला बार एसोसिएशन को न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्देश दिया था।
अधिवक्ता(संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा की मुख्य बातें:
Ranchi:
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और राज्य बार काउंसिल का पुनर्गठन
- राज्य बार काउंसिल की चुनाव प्रक्रिया में बदलाव
- हड़ताल और न्यायालय बहिष्कार पर पूर्ण प्रतिबंध (नियम तोड़ने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान)
•- अधिवक्ता द्वारा किसी भी लापरवाही या कदाचार के कारण मुवक्किल को हुए नुकसान की भरपाई का प्रावधान
•- अधिवक्ताओं के लिए पेशेवर विकास शुल्क अनिवार्य किया गया - • गलत कानूनी सलाह या वकालत के दुरुपयोग पर होगा मुवक्किल को हर्जाने का अधिकार
- • प्रत्येक 5 साल में अधिवक्ताओं के सत्यापन की प्रक्रिया लागू होगी
- • विदेशी कानून फर्मों के लिए पंजीकरण और विनियमन का प्रावधान
- आपराधिक मामलों में दोषी अधिवक्ताओं को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान
- जो अधिवक्ता सक्रिय रूप से वकालत नहीं कर रहे हैं, उनके मतदान अधिकार समाप्त किए जा सकते हैं
- • केंद्र सरकार को बीसीआई को निर्देश देने का अधिकार