जमीन की बाध्यता से राज्य में बंद हो जाएंगे कई निजी स्कूल, हाईकोर्ट ने पूछा- नियमावली बनाने से पहले सर्वे हुआ या नहीं

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार की संशोधित नियमावली में जमीन के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा कि नियमावली में प्राइवेट स्कूलों के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एक एकड़ जमीन और शहर में 75 डिसमिल जमीन का प्रावधान करने के पहले किसी प्रकार का कोई सर्वे किया गया था या नहीं।  

यदि सर्वे हुआ था, तो सरकारी स्कूलों के मामले में इसे क्यों नहीं लागू किया गया। इस मामले में अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी। पूर्व में जारी अंतरिम आदेश बरकरार रहा।

प्रार्थी की ओर से बताया गया कि संसद से पारित शिक्षा का अधिकार कानून में छह वर्ष से लेकर 14 साल तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है। राज्य सरकार ने एक्ट में दिए गए निमावली को संशोधित किया है।

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इसके तहत स्कूलों के लिए सभी जरूरी संरचनात्मक सुविधा के अलावा जमीन का प्रावधान भी जोड़ दिया है। जबकि एक्ट में जमीन का प्रावधान नहीं है।

राज्य की नियमावली के अनुसार शहरी क्षेत्र में एक से आठ कक्षा तक के प्राइवेट स्कूल पास 75 डिसमिल जमीनए ग्रामीण क्षेत्र में एक एकड़ जमीन होनी चाहिए।

वहीं, एक से पांच कक्षा तक के स्कूल के पास 40 डिसमिल जमीन शहर में, जबकि 60 डिसमिल जमीन ग्रामीण क्षेत्र में संचालित प्राइवेट स्कूल के पास होनी चाहिए।

लेकिन संसद द्वारा बनाए कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है। इस दौरान कहा कि संशोधित नियमावली से राज्य में संचालित 50 प्रतिशत से अधिक प्राइवेट स्कूल बंद हो जाएंगे।  

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