रांचीः मादक पदार्थ तस्कर को अगर पूर्व में सजा हो चुकी है और वह दोबारा पकड़ा जाता है तो उसे मृत्युदंड की भी हो सकती सजा : राजेश कुमार सिन्हा
रांची: झालसा के निर्देश पर मंगलवार को संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय में नशा मुक्ति पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने एनडीपीएस एक्ट के संबंध में वहां के छात्राओं को विधिक जानकारी प्रदान की। कहा अगर कोई व्यक्ति जिसे पूर्व में सजा हो गयी हो और दुबारा फिर वहीं अपराध करता है, तो मृत्युदंड का भी प्रावधान है। बतलाया कि मादक पदार्थों के विस्तारण, भंडारण एक जगह-से-दूसरे जगह आयात-निर्यात करना, खरीद-विक्री करना दूसरे व्यक्ति को उसमें सम्मिलित करना एवं प्रोत्साहित करना के संबंध कड़ी सजा, जिसमें 10 वर्ष से 20 वर्ष तक कठोर आजीवन कारावास एवं आर्थिक दंड के रूप में 2 लाख रूपया जुर्माना का प्रावधान है। अलावा इसके उन्होंने आगामी 28 सितम्बर को होनेवाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी जानकारी दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतुल गेरा ने बताया कि कि कैसे साधारण खाँसी की सिरप जैसी चीज़ों का नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड राज्य न केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि राँची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। राँची में नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह दी जाती है।
सी.आई.डी., डी.एस.पी. – राजकुमार यादव ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुँचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।
एनसीबी के मनोहर मंजूल ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुँचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते।
इस अवसर पर एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, लाइफ सेवर्स, एनजीओ के चीफ अतुल गेरा, मोटिवेटर कमलजीत कौर, सी.आई.डी.,डी.एस.पी.-राजकुमार यादव, एन.सी.बी. के मनोहर मंजूल, संत अन्ना कॉन्वेंट स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं राजा वर्मा उपस्थित थे।