एक साल नौकरी के बाद निकले गए पुलिसकर्मियों के मामले में हाईकोर्ट में 12 मार्च को सुनवाई

नौकरी से हटाए पुलिसकर्मियों की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से केस से संबंधित कुछ दस्तावेज अदालत के रिकॉर्ड पर लाने की बात कही गई।

इसके बाद चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की है। जेएसएससी की ओर से वर्ष 2015 में पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था।

वर्ष 2017 में सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गई। इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में एक उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश देते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों की दोबारा मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया।

इसके बाद उन सभी अभ्यर्थियों का उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड में मेडिकल टेस्ट कराया गया, जिनको कट ऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक मिले थे। इस दौरान नियुक्त हुए कई अभ्यर्थी मेडिकली अनफिट पाए गए। अनफिट पाए गए पुलिसकर्मियों को सरकार ने नियुक्ति के एक साल बाद हटाने का आदेश दिया।

उन लोगों ने एकल पीठ में इस मामले को चुनौती दी, लेकिन एकल पीठ ने सरकार के निर्णय को सही बताते हुए इनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद इन लोगों ने एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है।

सुनवाई के दौरान कहा गया कि बिना उनका पक्ष जाने ही सरकार ने उन्हें हटाने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं, जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने कहा कि उन्हीं लोगों की नियुक्ति की गई है, जिन्हें उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड में फिट पाया गया है।

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