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जमीन अधिग्रहण के तीस साल तक नौकरी के लिए दौड़ा रहा विभाग, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को किया तलब

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Ranchi: Jharkhand High Court summoned Chief Secretary झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में विस्थापित को नौकरी देने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान करीब तीस साल तक विस्थापित को नौकरी नहीं देने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और मुख्य सचिव और जल संसाधन सचिव तलब किया है।

अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब तीन विस्थापितों को नौकरी दे दी गई है, तो प्रार्थी को कोर्ट के आदेश पर नौकरी क्यों नहीं दी गई। मामले में अगली सुनवाई बीस जुलाई को निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता प्रेम पुजारी राय ने अदालत को बताया कि एकल पीठ ने प्रार्थी को नौकरी सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

लेकिन इनके अलावा तीन अन्य को नौकरी दे दी गई है। जबकि इनके मामले में सरकार ने नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही है। अदालत ने पूछा कि जब पुनर्वास नीति बनी है, तो प्रार्थी को इसका लाभ क्यों नहीं मिला। वहीं, तीन लोगों को नियुक्ति कैसे की गई है। इसके बाद अदालत ने मुख्य सचिव और जल संसाधन सचिव को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है।

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बता दें कि गुमला के कतरी जलाशय के लिए वर्ष 1989-90 अधिग्रहण की गई थी। इसमें प्रार्थी मोहम्मद एसनाउल्लाह खान की जमीन भी ली गई थी और उन्हें पुनर्वास नीति के तहत नौकरी में प्राथमिकता और मुआवजा देने की बात कही गई। लेकिन जब प्रार्थी को नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने वर्ष 2011 में हाई कोर्ट याचिका दाखिल की।

अदालत ने राज्य सरकार को प्रार्थी के आवेदन पर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया। लेकिन विभाग ने उनके आवेदन पर कोई विचार नहीं किया। इसके बाद प्रार्थी ने हाई कोर्ट में दो बार याचिका दाखिल की और कोर्ट के आदेश के बाद भी विभाग अपना पुराना रवैया अपनाता रहा।

तीसरी बार की याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिया कि इस मामले में तीन महीने में विज्ञापन जारी कर प्रार्थी को नौकरी और मुआवजा प्रदान किया जाए। लेकिन इस आदेश के खिलाफ जल संसाधन विभाग ने झारखंड हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की है।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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