अनाथ बच्चों के पुनर्वास पर बोले सीएम हेमंत सोरेन, बाल तस्करी रोकने के लिए गांवों में महिला एसपीओ की होगी नियुक्ति
Ranchi: Shishu Project Jhalsa बाल तस्करी रोकने के लिए राज्य के गांवों में महिला एसपीओ नियुक्त की जाएंगी। महिला एसपीओ गांव के बच्चों पर नजर रखने के साथ- साथ तस्करों पर नजर रखेंगी। यदि बच्चों की तस्करी का प्रयास किया जाए तो वह संबंधित अधिकारी और पुलिस को सूचना देंगी, ताकि बाल तस्करी रोकी जा सके और तस्करी करने वालों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जा सके।
मुख्ययमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बात रविवार को झालसा की ओर से कोविड में अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए चलाए जा रहे प्रोजेक्ट शिशु पर हुए सेमिनार में कही। ऑनलाइन हुए इस सेमिनार में झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष, जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, मुख्य सचिव, सभी जिलों के एसपी और अन्य न्यायिक अधिकारी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से देश के साथ-साथ झारखंड ने भी त्रासदी झेली है। कोरोना से कई बच्चों ने अपने माता- पिता और अभिभावकों को खोया है। ऐसे अनाथ बच्चों के संपूर्ण विकास और पुनर्वास के लिए झालसा ने प्रोजेक्ट शिशु लांच कर सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को पूरी तरह घर का माहौल मिले और वह खुद को सहज महसूस करे इसके लिए सरकार भी तैयारी कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना में कई बच्चे अनाथ हुए हैं। ऐसे बच्चों का परवरिश और पुनर्वास देना सरकार का कर्तव्य है और सरकार यह कर भी रही है। दूसरे मामले में भी जो बच्चे अनाथ हुए हैं उन्हें भी सरकार विभिन्न योजनाओं का लाभ देकर उनके पुनर्वास की व्यवस्था पहले से कर रही है। सरकार बच्चों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है।
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कोरोना ने कई घरों को उजाड़ दियाः चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने कहा कि कोरोना पूरी दुनिया के लिए त्रासदी बन कर आयी है। इस महामारी ने कई घरों को उजाड़ दिया है। कई ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने इस बीमारी में अपना मां- पिता और अपने अभिभावकों को खो दिया है। अब इन बच्चों का पुनर्वास करना, उनकी शिक्षा, चिकित्सा, भोजन के साथ उनका संपूर्ण विकास करना हमारा दायित्व है। अनाथ हुए बच्चों को संपूर्ण विकास हमारी प्राथमिकता है ।
208 बच्चों को मिला लाभः जस्टिस अपरेश कुमार सिंह
झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना ने कई बच्चों को अनाथ किया है। झालसा ने अब तक 208 बच्चों को प्रोजेक्ट शिशु के तहत लाभ देते हुए इस प्रोजेक्ट से जोड़ा है। 200 और बच्चों को चिन्हित किया गया है। सरकार और जिला प्रशासन के साथ मिल कर इन बच्चों का पुनर्वास किया जा रहा है।
इस योजना का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा, पारिवारिक माहौल देना है। अनाथ बच्चों को पहले उनके रिश्तेदारों के पास रखने का प्रयास होता है। यदि कोई रिश्तेदार न हो उन्हें गोद दिया जाता है। ऐसे बच्चों का संपूर्ण विकास के साथ उनकी मॉनिटरिंग भी की जाती है और समय समय पर सरकारी अधिकारी और डालसा के लोग जाकर बच्चों से मिलते भी हैं।
इस योजना के तहत पहले बच्चों की पहचान की जाती है। फिर वैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद उनका समेकित पुनर्वास किया जाता है फिर देख रेख होती है। झारखंड हाईकोर्ट के जज और हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि कोरना की त्रासदी से कोहराम मचा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 234 बच्चे कोरोना काल में अनाथ हुए हैं।
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इन बच्चों की ट्रैफिकिंग न हो इसके लिए सतर्क होना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम केयर ऑफ चिल्ड्रेन स्कीम लांच की है। इसमें अनाथ हुए बच्चों को दस लाख तक का लाभ दिए जाने का प्रावधान है। अनाथ हुए बच्चों को सभी योजनाओं का लाभ देकर उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए, ताकि सम्मान के साथ वह रह सकें।
उन्होंने कहा कि बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान भी रखना होगा उनके साथ कोई गलत व्यवहार न हो। झालसा का यह प्रयास सराहनीय है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने बाल संरक्षण, बाल अधिकार, सीडबल्यूसी, जुबिनाइल जस्टिस, स्पोंसरशिप, फोस्टर स्कीम से संबंधित पत्रिकाओं का लोकार्पण भी किया। इनमें बच्चों के अधिकार से संबंधित कानून और योजनाओं की जानकारी दी गयी है।
सोनाहातू और बेड़ो की विधवा और बच्चों को लाभ मिला
समारोह के दौरान सोनाहातू और बेड़ो की विधवा और बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया। विधवा पेंशन, लक्ष्मी लाडली योजना का लाभ दिया गया। साथ ही बच्चों को स्कूल किट भी प्रदान किया गया।