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योगी सरकार ने हाईकोर्ट को बताया,  जहरीली शराब से मौत देने वालों को हो सकेगी फांसी तक की सजा

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Lucknow: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ के समक्ष एक मामले में राज्य सरकार ने जवाब पेश करते हुए कहा कि अगर मिलावटी (जहरीली) शराब से किसी की मौत होती है, तो इसके सौदागरों को फांसी तक की सजा का प्रावधान कानून में संशोधन के जरिए किया गया है। सरकार के जवाबी हलफनामे के मद्देनजर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।

जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला ‘वी द पीपल’ नामक संस्था के महासचिव प्रिंस लेनिन की जनहित याचिका पर सुनाया। वर्ष 2015 में दाखिल इस याचिका में प्रदेश में कई साल से अवैध जहरीली शराब बनाने व बिक्री से लोगों के जान गंवाने की न्यायिक जांच की मांग की गई थी। साथ ही यहां मलिहाबाद के दतली गांव में हुए जहरीली शराब कांड जैसी घटनाओं को रोकने को सख्त दिशा निर्देश जारी करने का आग्रह भी किया गया था।

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सरकारी वकील ने मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा कि यूपी सरकार ने वर्ष 2017 में आबकारी संशोधन अध्यादेश जारी कर आबकारी कानून में संशोधन कर दिया है। इसके तहत अगर कोई शराब में जहरीला नशीला पदार्थ मिलाकर बेचेगा और इससे किसी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसा करने वाले को फांसी या आजीवन कारावास तक की सजा समेत 10 लाख तक के जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान किया गया है।

इसी तरह मिलावटी शराब के करोबार को करने वाले के कृत्य से किसी को अपंगता या गम्भीर चोट पहुंचने के केस में भी सख्त सजा व जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। कहा कि आबकारी अधिनियम की धारा 63 में जहरीली शराब बनाने व बिक्त्रसी को सख्ती से रोकने के लिए पर्याप्त प्रावधान सरकार ने किए हैं। अदालत ने इसके मद्देनजर याचिका का निपटारा कर दिया।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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