यूपी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जवाब, बनावटी नहीं, बल्कि वास्तविक था गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर
दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 जुलाई को कानपुर के बिकरू पुलिस हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे और उसके तीन सहयोगियों की मुठभेड़ की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
यूपी के पुलिस महानिदेशक की ओर से दाखिल हफलनामे में कहा गया है कि गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर बनावटी नहीं था, बल्कि वास्तविक था क्योंकि विकास दुबे का मकसद पुलिस वालों को मार कर भागना था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया, जो उन पुलिस कर्मियों और अन्य विभागों के साथ अभियुक्तों और उनके सहयोगियों की कथित मिलीभगत के बारे में पूछताछ करेगी।
एसआईटी का नेतृत्व यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी कर रहे हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और डीआईजी रविन्द्र गौड़ भी इस टीम का हिस्सा होंगे।
यूपी सरकार ने जवाब में कहा है कि विकास दुबे ने मुठभेड़ में नौ राउंड फायरिंग की, जिससे एसपी टीबी सिंह को सीने में चोट लगी लेकिन वह बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुए थे। एसटीएफ टीम ने गैंगस्टर विकास दुबे को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन वह भागता रहा और गोली चलाता रहा।
इसमें दो एसटीएफ कर्मियों घायल हुए। एसटीएफ टीम ने सेल्फ डिफेंस में विकास दुबे पर छह गोलियां चलाईं, जिसमें तीन गोलियां गैंगस्टर विकास दुबे को लगीं। घायल अवस्था में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
दरअसल, इस मामले में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एन सुभाष रेड्डी और जस्टिस ए एस बोपन्ना की अदालत ने उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी 10 जुलाई को यूपी में विकास दुबे और उसके तीन सहयोगियों के कथित एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में विकास दुबे सहित आरोपियों की मौत की सीबीआई जांच की मांग की गई और उन सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, जो आरोपियों की हत्या में शामिल हैं।