झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने शिक्षक नियुक्ति से संबंधित एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर साइं) साइंस का अभिन्न अंग है। इस आधार पर किसी अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने बीसीए डिग्रीधारी प्रार्थी को शिक्षक के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने जेएसएससी को आठ सप्ताह में प्रार्थी की नियुक्ति की अनुशंसा राज्य सरकार को भेजने का निर्देश दिया है।
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इस मामले में प्रार्थी मुकेश रंजन ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स में अदालत को बताया कि वर्ष 2016 में फिजिकल शिक्षक की नियुक्ति के लिए मुकेश रंजन ने आवेदन दिया था।
शिक्षक पद के आवेदन को जेएसएससी ने किया था रद
लेकिन जेएसएससी ने यह कहते हुए उनका आवेदन रद कर दिया था कि प्रार्थी विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप शैक्षणिक योग्यता नहीं रखता है। मुकेश रंजन ने स्नातक में बीसीए की पढ़ाई की थी। इसी आधार उन्होंने शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन भी दिया था।
अधिवक्ता अमृतांश वत्स की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2014 में यूजीसी ने एक अधिसूचना जारी कर नए कोर्स के बारे में स्पष्टीकरण दिया था। जिसके तहत बीसीए को साइंस स्ट्रीम में माना गया। ऐसे में जेएसएससी का आवेदन रद करने का आदेश बिल्कुल गलत है।
जेएसएससी का कहना था कि शिक्षक नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में स्नातक की डिग्री मांगी गई थी। इसमें साइंस, कामर्स और आर्ट विषय से स्नातक करने वालों आवेदन के लिए एलिजिबल माना गया था। जबकि प्रार्थी ने अपना स्नातक बीसीए से पूरा किया है। इसलिए उनके आवेदन को रद क दिया था।
दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदातल ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीसीए को साइंस स्ट्रीम का माना जाएगा। इसलिए जेएसएससी प्रार्थी की नियुक्ति के अनुशंसा राज्य सरकार को आठ सप्ताह में नियुक्त करें और सरकार प्रार्थी को शिक्षक पद नियुक्त करे।