नेशनल शूटर तारा शाहदेव मामले में रकीबुल को मरते दम तक जेल, पूर्ज जज को 15 और मां को 10 साल की सजा

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने नेशनल शूटर तारा शाहदेव उत्पीड़न मामले में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन को आजीवन कारावास (शेष जीवन) की सजा सुनाई है। अदालत ने झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद को 15 साल एवं कोहली की मां कौशल रानी को 10 साल कारावास की सजा सुनाई है।

अदालत ने कोहली पर 1.25 लाख एवं अन्य दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर कोहली को अतिरिक्त 18 महीने एवं अन्य दोनों को अतिरिक्त छह-छह महीने जेल काटनी होगी। सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान जेल में बंद तीनों अभियुक्तों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था।

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अपराध की गंभीरता के अनुसार अभियुक्तों को सजा

अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध का तरीका और उसकी गंभीरता को देखते हुए सजा दी गई है। अदालत ने कोहली को आपराधिक साजिश रचने के साथ एक ही औरत के साथ लगातार दुष्कर्म करने के आरोप में सजा सुनाई गई है। जबकि अन्य दोनों अभियुक्तों को आपराधिक साजिश रच कर एक ही महिला के साथ दुष्कर्म की घटना का अंजाम देने के लिए प्रेरित करने पर सजा सुनाई गई है।

सीबीआई की विशेष अदालत ने तीनों को 30 सितंबर को दोषी ठहराया था। साथ ही जमानत पर चल रहे तीनों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया था। सीबीआई के वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह की ओर से प्रस्तुत किए 26 गवाहों एवं दस्तावेजों के आधार पर यह सजा सुनाई गई।

झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 2015 में केस टेक ओवर किया था। सीबीआई ने 12 मई 2017 को तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तारा शाहदेव और कोहली की शादी 7 जुलाई 2014 को हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद 19 अगस्त 2014 को हिंदपीढ़ी थाना में तारा शाहदेव ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

समाज को प्रभावित करने वाला है अपराध, मिले अधिकतम सजाः सीबीआई

सीबीआई के वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह ने सजा के बिंदु पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के धनंजय चटर्जी से जुड़े मामले में आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यह अपराध देश और समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाला है।

ऐसे अपराधी के प्रति नरम रुख नहीं अपनाया जा सकता है। यह कोई व्यक्तिगत अपराध नहीं , बल्कि समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाला अपराध है। अपराध तो अपराध है ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए। अभियुक्तों को अधिकतम सजा दी जाए।

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पारिवारिक विवाद, सजा में नरमी बरती जाएः बचाव के वकील

बचाव पक्ष के वकील मुख्तार खान ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान कहा कि तारा शाहदेव और रंजीत कोहली के बीच पारिवारिक विवाद का मुकदमा है। सभी लोगों का पहला अपराध है। इसको देखते हुए सजा में नरमी बरती जाए। मुश्ताक अहमद के बारे में कहा कि वह बहुत ही बेदाग चरित्रवाले न्यायिक पदाधिकारी रहें हैं।

इसको छोड़कर कोई मुकदमा नहीं है। कोहली के बारे में कहा कि शुरूआत ठीक था। मन नहीं मिला तो मुकदमा का रूप दिया गया। यह कोई अपराध नहीं किया गया है। कौशल रानी के बारे में कहा कि वह 85 साल से अधिक की हैं। अनेकों रोग से ग्रसित हैं। मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। इसको देखते हुए सजा में नरमी बरती जाए।

अपने बयान पर अडिग रही तारा शाहदेव: कोर्ट

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा ने अपने 142 पृष्ठों के जजमेंट में कहा है कि सामान्य प्रथा के अनुसार किसी महिला के खिलाफ बलात्कार का कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन यदि रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं तो महिला पर सह अभियुक्तों द्वारा किए गए बलात्कार के अपराध को कम करने या साजिश रचने का आरोप लगाया जा सकता है।

रिकॉर्ड में सबूतों के आधार पर पाया कि तीनों अभियुक्तों इस साजिश के दोषी हैं। इसको देखते हुए आपराधिक साजिश रच कर अपराध करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मामले में तारा शाहदेव ने अदालत के समक्ष अपने प्रति-परीक्षण के दौरान अपने फर्दबयान में उल्लिखित तथ्यों का कभी भी खंडन नहीं किया है। उसने जो बयान दर्ज कराया था उस पर हमेशा अडिग रही। बचाव पक्ष ने राज्य पुलिस द्वारा जांच के दौरान दर्ज किए गए बयानों के साथ गवाह का खंडन करने की कोशिश की थी।

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