शाह ब्रदर्स मामलाः नियमों का पालन किए बिना सुनवाई का आरोप, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के वेकेशन कोर्ट (ग्रीष्मावकाष कोर्ट) में खनन कंपनी शाह ब्रदर्स के मामले में नियमों का पालन किए बिना ही सुनवाई करने के आरोप से संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है।

अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि यह जनहित याचिका है या नहीं और सुनवाई योग्य है या नहीं। क्या सरकार एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है या नहीं। यदि अपील दायर नहीं की है, तो दाखिल की जाएगी या नहीं। यदि दाखिल की जाएगी तो कब तक। सरकार को सभी बिंदुओं पर नौ सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

वेकेशन कोर्ट में सुनवाई में नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत करते हुए भूमि अधिग्रहण विस्थापन एवं पुनर्वास किसान समिति और रामसुभग सिंह ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि शाह ब्रदर्स के लीज से संबंधित मामलों में वेकेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए इस मामले में एकलपीठ के आदेश और इस आदेश के बाद सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर रोक लगा देनी चाहिए।

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प्रार्थियों का कहना है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था। आम तौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है। उन सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है जिसमें तत्काल आदेश दिया जाना जरूरी है। प्रार्थी का कहना है कि शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद्द कर दिया था। यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उस पर सुनवाई भी हो रही थी।

लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया। इसमें सहमति भी मिल गयी और सुनवाई भी कर ली गयी। शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर लीज नवीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी। शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद्द करने का जो नोटिस दिया है उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है।

प्रार्थी का कहना है कि वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह मामला सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया। प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की। प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है

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