Mumbai: Physical Relationship रिलेशनशिप को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High court) ने कहा कि अगर लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन में रहने के बाद कोई शादी से इन्कार करता है, तो उसे धोखाधड़ी नहीं माना जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी निचली अदालत की ओर से एक युवक को दोषी ठहराए जाने के फैसले को लेकर कहा है।
इस मामले में एक युवती ने अपने प्रेमी पर शादी का वादा कर उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाने का आरोप लगया। युवती ने कहा कि पालघर में रहने वाले युवक के खिलाफ थाने में मामले दर्ज कराया है। इस मामले में 19 फरवरी 1999 को अतिरिक्त सेशन जज ने आरोपी काशीनाथ को रेप के आरोप में तो बरी कर दिया था लेकिन धोखाधड़ी में दोषी पाया था।
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मामले में निचली अदालत ने काशीनाथ घरात को 3 साल के बाद शादी से इन्कार करने के आरोप में एक साल की सजा सुनाई थी। काशीनाथ ने इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद पता चलता है कि महिला और आरोपी के बीच तीन साल से रिश्ता था और फिजिकल रिलेशनशिप में भी थे।
कोर्ट ने कहा कि महिला के बयानों से यह साबित नहीं होता है कि वह किसी तरह के धोखे में रखी गई थी। वहीं, कोर्ट ने काशीनाथ को इस आरोप से मुक्त कर कर दिया। जज ने आगे कहा कि मामला जानने के बाद पता चला कि आरोपी के खिलाफ ऐसे कोई सबूत नही मिले हैं, जिससे ये साबित हो कि आरोपी युवती से शादी नहीं करना चाहता था। इस बात का भी सबूत नहीं मिला है कि आरोपी ने महिला को गलत जानकारी देकर उसके साथ संबंध बनाए। ऐसे में उसे लंबे रिलेशनशिप के बाद शादी से इन्कार करने के लिए धोखाधड़ी का दोषी नहीं माना जा सकता है ।