पूर्व मंत्री बंधु तिर्की से जुड़े आचार संहिता उल्लंघन के छह साल पुराने मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट लगभग डेढ़ साल से केस साबित करने के लिए गवाहों को बुला रहा है। लेकिन कोर्ट द्वारा निर्धारित 33 तिथियों में एक भी गवाह केस स्थापित कराने नहीं पहुंचे। बावजूद अदालत अभी गवाहों के आने की प्रतिक्षा कर रही है।
जिसने बंधु तिर्की के खिलाफ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई, वह भी नहीं पहुंच रहीं हैं। प्राथमिकी राहे के तत्कालीन सीओ छविवाला बारला ने सात जून 2018 को अनगड़ा थाना में दर्ज कराई थी। मामले में सूचक का गवाही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। सरकारी पद पर रहते हुए भी गवाही देने अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं।
2022 में हो चुका है आरोप तय
मामले में बंधु तिर्की पर अदालत ने छह जुलाई 2022 को आरोप तय किया था। इसके बाद 28 जुलाई 2022 से अभियोजन पक्ष को गवाह प्रस्तुत करना था। मामले में सिर्फ एक गवाह रामबाबू मंडल की गवाही 23 अगस्त 2022 को दर्ज की जा सकी है। इसके बाद कोई भी गवाह नहीं पहुंचा है। बंधु तिर्की आचार संहिता उल्लंघन मामले में एक महीने की जेल काट चुके हैं। वर्तमान में वह इस मामले में जमानत पर चल रहे हैं।
बंधु तिक्री पर यह आरोप
22 मई 2018 को अनगड़ा के एक कार्यक्रम में बंधु तिर्की ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को छत्तीसगढ़ी मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया था। साथ ही अपने भाषण में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को नाभि में तीर मारने वाला कहा था। उन पर दो पार्टियों के बीच मतभेद करनेवाला भाषण देने का आरोप है, जो आचार संहिता उल्लंघन का मामला बनता है। भाषण के 15 दिनों बाद राहे की तत्कालीन सीओ छविवाला बारला ने बुंधु तिर्की पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन दिनों बंधु तिर्की जेवीएम पार्टी में थे।