Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने देवघर एम्स में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव और देवघर एम्स के निदेशक को हाजिर होने का निर्देश दिया है।
अदालत ने दोनों को एक सितंबर को वर्चुअल हाजिर होने का निर्देश दिया है। सांसद निशिकांत दुबे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एम्स में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराए जाने जाने की मांग की है। कहा है राज्य सराकर सुविधा नहीं दे रही है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अग्निशमन विभाग ने बताया कि देवघर एम्स में राज्य सरकार ने मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी हैं। अग्निशमन वाहनों और यंत्रों को लिए राशि आवंटित कर दी गयी है, ताकि किसी भी अनहोनी से निपटा जा सकते।
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आधुनिक सुविधाएं से लैश वाहन खरीदे जा रहे हैं। पथ निर्माण विभाग की ओर से बताया देवघर एम्स के मुख्य गेट का अभी तक निर्धारण नहीं होने से मुख्य सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका है।
इसका प्रार्थी की ओर से विरोध किया गया।
देवघर एम्स को नहीं मिली मूलभूत सुविधा
प्रार्थी की ओर से कहा गया कि सरकार जो दावा कर रही है वह सही नहीं है। बिजली, पानी, सड़क सहित अन्य विभागों की ओर से मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जानी है। लेकिन सभी विभाग अलग-अलग जवाब दे रहैं।
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इसके लिए सरकार को एक समग्र रिपोर्ट अदालत में पेश करनी चाहिए। साथ ही ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि वह सभी विभागों में समन्वय स्थापित कर सके। इसके बाद अदालत ने मुख्य सचिव और एम्स के निदेशक को तलब किया हैय़
एम्स निदेशक को एम्स के लिए क्या-क्या मूलभूत सुविधाओं की कमी है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया। बता दें कि इस संबंध में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि एम्स देवघर में राज्य सरकार को मौलिक सुविधाएं उपलब्ध करानी थी, लेकिन अभी तक सुविधाएं नहीं मिली है जिस कारण अस्पताल पूरी तरह काम नहीं कर रहा है।
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