झारखंड हाईकोर्ट का आदेशः महाधिवक्ता राजीव रंजन व अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ चलेगा आपराधिक अवमानना

Ranchi: Contempt Notice against Advocate General झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन व अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलेगा। इसको लेकर जस्टिस एसके द्विवेदी अदालत ने दोनों लोगों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दोनों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है।

महाधिवक्ता राजीव रंजन व अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ आपराधिक अवमानना चलाने की मांग को लेकर आइए याचिका दाखिल की गई थी। इस पर मंगलवार को सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी कर ली गई थी। अदालत इस मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए अवमानना का मामला चलाने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने आइए को खारिज करते हुए इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। अब इस मामले की सुनवाई खंडपीठ में होगी।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी के लिए यही अच्छा होगा कि इस मामले को नहीं चलाया जाए। हम इस मामले में नहीं जाना चाहते हैं कि पिछली सुनवाई के दौरान क्या हुआ।

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इस दौरान कपिल सिब्बल की ओर से कहा गया कि प्रार्थी के अधिवक्ता इस मामले को स्कैंडलाइज कर रहे हैं। कहा कि अवमानना को लेकर दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि इस मामले में दाखिल आइए याचिका में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता का नाम नहीं लिखा गया है।

नियमानुसार किसी के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने के लिए महाधिवक्ता की मंजूरी जरूरी है, लेकिन इस मामले में महाधिवक्ता पर ही आरोप लगा है। ऐसे में अब अदालत को अवमानना का स्वतः संज्ञान लेना होगा और इस मामले में अब खंडपीठ में सुनवाई होगी।

इसके बाद अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता अदालत में ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं। उनकी ओर से अदालत में यह सीन क्रिएट किया गया है। यही समस्या है। अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता की ओर से सिर्फ जज नहीं, बल्कि न्यायिक संस्था पर सवाल उठाया गया है।

इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। इस पर अदालत कहा कि वह आइए और रूपा तिर्की मामले की मेरिट पर सुनवाई करेगी और फैसला सुनाएगी। इसके बाद अदालत में रूपा तिर्की की मौत मामले में बहस प्रारंभ की गई।

इस दौरान झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार ने कहा कि अदातल में महाधिवक्ता ने ऐसा व्यवहार किया है। अगर इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो बाद में को कनीय अधिवक्ता भी ऐसा कर सकता है। जिससे नई अदालत में नई परंपरा की शुरूआत हो जाएगी।

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