चारा घोटालाः जहां लालू की बेटियां पढ़ती थी, वहीं से मिले थे घोटाले के अहम सबूत

रांचीः चारा घोटाला के चार मामलों के सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को कहीं जमानत मिलने से पहले ही एक और मामले में जेल की सजा न मिल जाए। क्योंकि हाई कोर्ट ने आधी सजा में दो माह कम होने पर जमानत नहीं दी है।

लेकिन डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत में सुनवाई जारी है। इस दौरान गवाहों की गवाही कोर्ट में सुनाया जा रहा है। गवाह ने बताया कि पटना के बिशप स्कॉट गर्ल्‍स स्‍कूल में लालू यादव की 4 बेटियां पढ़ती थीं।

यहीं से सीबीआई को अहम सबूत हाथ लगे थे। चारा घोटाले की जांच के क्रम में इस स्‍कूल में लालू के राजदारों से जुड़ी पूरी स्क्रिप्‍ट लिखे जाने की बात सामने आई है। अदालत में बहस के दौरान सीबीआई के वकील विशेष लोक अभियोजक ने खास गवाहों की गवाही पढ़कर सुनाई।

बीएमपी सिंह ने बिशप स्कॉट गर्ल्स स्कूल, पटना की प्राचार्या एन जैकब की गवाही के साक्ष्यों को अदालत में पढ़कर बताया कि लालू प्रसाद यादव की चार बेटियां बिशप स्कूल में पढ़ती थीं। जिनके स्थानीय अभिभावक के रूप में चारा घोटाले के किंगपिन श्याम बिहारी सिन्हा और बिहार के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन के कर्मचारी सूरज का नाम अंकित था।

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जबकि सूरज कुमार ने बताया था कि उसने ऐसा कोलकाता के आपूर्तिकर्ता मो सईद के कहने पर किया था। चारा घोटाले के अभी तक के सबसे बड़े घोटाले में बहस अभी जारी है। अदालत ने बहस के लिए अगली तिथि छह अप्रैल मुकर्रर की है। बता दें कि आरसी 47/96 से जुड़े इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित 110 आरोपित ट्रायल फेस कर रहे हैं।

डोरंडा कोषागर से 139.5 करोड़ रुपये अवैध निकासी मामले में सीबीआइ के विशेष जज एसके शशि की अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से बहस चल रही है। लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बहस के दौरान चारा घोटाले में पैसे के बंदरबांट के बारे में बताया।

सीबीआई के गवाह आपूर्तिकर्ता दिपेश चांडिक की गवाही का उल्लेख करते हुए चारा घोटाले में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव, घोटाले के किंगपिंग पशुपालन विभाग के निदेशक रहे श्याम बिहारी सिन्हा और आपूर्तिकर्ता मो सईद के आपसी रिश्ते से अदालत को अवगत कराया।

बीएमपी सिंह ने कहा कि चारा घोटाले में आरोपी बनाये गए आपूर्तिकर्ता बिना चारा आपूर्ति के पैसे लेते थे। 20 प्रतिशत खुद रखकर बाकी के पैसे श्याम बिहारी सिन्हा को दिया जाता था। आपूर्तिकर्ता से प्राप्त रुपये का 30 प्रतिशत श्याम बिहारी सिन्हा खुद और केएम प्रसाद के बीच बांट लेते थे।

जबकि बाकी पैसे विभागीय अधिकारी, चिकित्सक, कोषागार के कर्मियों के बीच बांटे जाते थे। यह खेल अनवरत चलता रहा। सीबीआई की ओर से बहस पूरी होने के बाद आरोपियों की ओर से बहस होगी और उम्मीद है कि डोरंडा कोषागार मामले में जल्‍द ही सजा सुनाई जा सकती है।

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