Ranchi: Contempt against Advocate General झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत में महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर आपराधिक अवमानना के मामले पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अदालत में वकालतनामा नहीं दाखिल किया जा सका और इससे संबंधित रिकॉर्ड अदालत में नहीं पहुंचा था। इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की है।
साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत के मामले में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की टिप्पणी को अमर्यादित मानते हुए एक सितंबर को जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने इनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया था।
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अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि 13 अगस्त को महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता ने जो बयान दिया, वह न्यायपालिका की गरिमा को धूमिल करने वाला था। उनका कथन किसी एक जज के खिलाफ नहीं, बल्कि अदालत के खिलाफ था।
अदालत को न्याय का मंदिर माना जाता है, लेकिन महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता ने जिस तरीके से न्याय के मंदिर की भावना को चोट पहुंचाई, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसके बाद अदालत ने आपराधिक अवमानना चलाने के लिए इनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया।
इसके खिलाफ महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता ने अपील दाखिल करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि एकल पीठ को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना नोटिस जारी करने अधिकार नहीं है और इसमें निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है।