मेडिकल बीमा पर बार काउंसिल की बैठक, कहा- सभी को मिलनी चाहिए सरकार की योजनाओं का लाभ
राज्य के अधिवक्ताओं को मेडिकल बीमा की सुविधा देने के सरकार की योजना को लेकर झारखंड स्टेट बार काउंसिल की बैठक हुई। बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी सदस्यों ने सरकार की योजना का स्वागत किया। लेकिन कहा कि इस योजना से राज्य के करीब 35 हजार अधिवक्ताओं को लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए सभी अधिवक्ताओं को ट्रस्टी कमेटी का सदस्य बनाया जाए, ताकि उन्हें भी मेडिकल बीमा सुविधा का लाभ मिल सके। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अधिवक्ताओं के साथ उनके पुत्र और पत्नी को भी मेडिकल बीमा का लाभ मिलेगा या नहीं।
सरकार ने ट्रस्टी कमेटी के सदस्यों को ही मेडिकल बीमा की सुविधा देने की योजना बनाई है। इसके चलते राज्य के करीब 18 हजार अधिवक्ता इस योजना से वंचित हो रहे हैं, क्योंकि ट्रस्टी कमेटी में अभी 15 हजार अधिवक्ता ही सदस्य है। बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार को सभी अधिवक्ताओं को मेडिकल सुविधा के दायरे में लाना चाहिए। राज्य सरकार ने अधिवक्ताओं को मेडिकल बीमा, पेंशन और प्रोत्साहन राशि को लेकर घोषणा की है। सरकार ने इसे कैबिनेट से पास करा दिया है।
महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से बार काउंसिल के सदस्यों को पत्र लिखकर बैठक बुलाई गई है। काउंसिल की बैठक में या निर्णय लिया गया कि महाधिवक्ता की ओर से बुलाई गई बैठक में काउंसिल का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होंगे। कहा गया कि इस तरह की बैठक बुलाने का महाधिवक्ता को कोई अधिकार नहीं है। उनकी बैठक में ट्रस्टी कमेटी के सदस्य ही शामिल हो सकते हैं।
इस बैठक में बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण, राजेश कुमार शुक्ल, संजय विद्रोही सहित अन्य सदस्य शामिल हुए थे। यह बैठक आनलाइन की गई थी। इससे पूर्व बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण और संजय कुमार विद्रोही ने प्रेसवार्ता कर कहा था कि राज्य सरकार अधिवक्ताओं की मजबूरी पर राजनीति नहीं करे। अगर सरकार कोई योजना अधिवक्ताओं के लाभ के लिए ला रही है, तो सभी को इसका लाभ मिलना चाहिए।
इसमें ऐसी कोई शर्त या प्रावधान नहीं होना चाहिए, जिससे कि राज्य का एक भी अधिवक्ता को लाभ नहीं मिल पाए। पेंशन और प्रोत्साहन राशि बढ़ाने का बार काउंसिल ने स्वागत किया था। लेकिन इसके लिए 50 प्रतिशत राशि काउंसिल की ओर से दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। कहा गया था कि बार काउंसिल के पास राशि की उपलब्धतता की दिक्कत है। ऐसे में सरकार को इसके लिए अलग से फंड की व्यवस्था करनी चाहिए।