Assistant Professor: संविदा पर बहाली के मामले में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से मांगा जवाब
Ranchi: Assistant Professor झारखंड हाईकोर्ट ने संविदा पर काम करने वाले सहायक प्रोफेसर के मामले में मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि संविदा के आधार पर पहले कार्यरत लोगों को दोबारा संविदा के आधार पर होने वाली नियुक्ति से कैसे हटाया जा सकता है। मामले में अगली सुनवाई जनवरी माह में होगी।
इस मामल में जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो कोर्ट ने मुख्य सचिव की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने विश्वविद्यालयों को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पूर्व में इसी मामले में अदालत ने मौखिक रूप से कहा था कि राज्य को बने 20 वर्ष से अधिक हो गए लेकिन अभी भी राज्य के महत्वपूर्ण पदों पर संविदा के जरिए ही बहाली हो रही है। ऐसा सिर्फ शिक्षा विभाग का हाल नहीं है, बल्कि अन्य विभागों में भी संविदा पर लोगों की नियुक्ति की जा रही है।
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ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों उल्लंघन है। इसको लेकर प्रार्थी ब्रह्मानंद साहू सहित अन्य 64 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि वर्ष 2017 से सभी लोग संविदा पर सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए। लेकिन मार्च 2021 में राज्य सरकार ने फिर से सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है।
इसमें पूर्व से कार्यरत लोगों को भी आवेदन देने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार संविदा पद पर नियुक्ति दोबारा संविदा से नहीं की जा सकती है। इसके अलावा संविदा पर बहाल सहायक प्रोफेसर को समान के बदले समान वेतन मिलनी चाहिए। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें नियमित करने की बजाय फिर से संविदा के जरिए ही सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है।