नए जजों की नियुक्ति को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव को पत्र लिखा है। एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि हाई कोर्ट में किसी बाहरी बार से नए जजों की नियुक्ति की अनुशंसा नहीं की जाए।
ऐसे ही अधिवक्ता को जज बनाने की अनुशंसा की जाए, जो झारखंड हाई कोर्ट एसोसिएशन का सदस्य होने के साथ-साथ झारखंड स्टेट बार काउंसिल का सदस्य हो। इसके अलावा वह झारखंड हाई कोर्ट में नियमित रूप से प्रैक्टिस करता हो। कई बार देखा गया कि अधिवक्ता एडवोकेट एसोसिएशन की सदस्यता प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन यहां के हाई कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करते हैं।
ऐसे बाहरी लोगों का नामों की अनुशंसा नहीं की जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2016 में एडवोकेट एसोसिएशन ने बाहरी लोगों को जज बनाए जाने का विरोध करते हुए आमसभा की बैठक में संकल्प लिया था। इसलिए बाहरी के नाम की अनुशंसा नहीं की जाए।
जानकारी मिली है कि झारखंड हाई कोर्ट में नए जज बनाए जाने की अनुशंसा जल्द ही सुप्रीम कोर्ट को भेजी जानी है। जिसमें बाहरी बार यानी दूसरे हाई कोर्ट के अधिवक्ता का नाम भी शामिल किए जाने की संभावना है। इसका विरोध करते हुए एसोसिएशन की भावना से चीफ जस्टिस को अवगत कराया गया है।
ऋतु कुमार, अध्यक्ष, हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन
झारखंड राज्य के बाहर के अधिवक्ता संघ या बार से हाई कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कालेजियम के द्वारा अनुशंसा भेजने का मुद्दा वास्तव में चिंताजनक है। यह न केवल स्थानीय अधिवक्ताओं के हितों को प्रभावित करता है, बल्कि राज्य की न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को भी प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में, बार एसोसिएशन को एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी चाहिए। उन्हें अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए संगठित होकर लड़ना चाहिए। यह समय हताशा और निराशा का नहीं है, बल्कि एकता और संघर्ष का है।
धीरज कुमार, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट
बता दें कि हाई कोर्ट में स्वीकृत जजों की संख्या 25 है। इस वर्ष जस्टिस डा एसएन पाठक सेवानिवृत हो जाएंगे। जिसके बाद जजों की संख्या 17 हो जाएगी।