पेसा एक्ट के बनने के 28 साल बाद भी झारखंड में नियमावली लागू नहीं किए जाने को हाईकोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और सरकार को दो माह में नियमावली तैयार कर इसे लागू करने का निर्देश दिया है। सोमवार को कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने कहा कि यह मामला अदालत में वर्ष 2021 से लंबित है। इस दौरान अदालत ने कई निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने अब तक नियमावली लागू नहीं की है। इस मामले में अदालत अब सरकार को और समय नहीं दे सकती।
सरकार दो माह में नियमावली लागू करे। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य को बने 24 साल हो गए। आदिवासियों के हितों और उनके उत्थान के लिए राज्य का गठन किया गया था, लेकिन आज तक सरकार पेसा एक्ट की नियमावली नहीं बना सकी। जैसे- तैसे राज्य में काम हो रहा है। यह गंभीर मामला है। जबकि पेसा एक्ट 1996 में ही बना था। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि नियमावली लागू करने की प्रक्रिया जारी है। इस पर काम हो रहा है। राज्य में पंचायती राज अधिनियम और दूसरे एक्ट के माध्यम से पेसा एक्ट के प्रावधानों को लागू किया गया है।
संविधान में मिले अधिकारों के तहत ही राज्य राज्य सरकार ने ऐसा किया है। इसलिए इसे असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता है और न ही पेसा कानून का उल्लंघन कहा जा सकता है। सरकार ने अदालत से समय देने की मांग की और कहा कि अगली तिथि को इसकी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। लेकिन अदालत ने इस आग्रह को नहीं माना और सरकार को दो माह में नियमावली तैयार कर इसे लागू करने का निर्देश दिया।