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संथालपरागना में बांग्लादेशी घुसपैठिये पर केंद्र की ओर से शपथपत्र दाखिल करने के समय मांगे पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, दिया दो सप्ताह का समय, कहा वहां आदिवासी आबादी लगातार कम होती जा रही

अगली सुनवाई 5 सितंबर को

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झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में गुरुवार को संथालपरागना में बांग्लादेशी घुसपैठी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से शपथपत्र दाखिल नहीं किए जाने पर कड़ी टिप्पणी की। यह नाराजगी शपथपत्र दाखिल किए जाने के लिए चार सप्ताह का समय मांगे जाने पर की है। कोर्ट ने आईबी, यूआईएडीआई और बीएसएफ की ओर से अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश पिछली सुनवाई में दिया था। लेकिन दाखिल न कर समय की मांग की गई। अदालत ने दो सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 सितंबर निर्धारित की है।

कोर्ट ने मौखिक कहा कि झारखंड राज्य में आदिवासी की आबादी कम होती जा रही है और केंद्र सरकार चुप है। झारखंड का निर्माण आदिवासियों की हितों की रक्षा के लिए किया गया था। लगता है केंद्र सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में प्रवेश को रोकने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। आईबी हर सप्ताह 24 घंटे काम करती है लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर रही है। बीएसएफ की भी बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन प्रतीत होता है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के मामले में केंद सरकार का सकारात्मक रुख नहीं है।

कोर्ट ने मौखिक कहा जब राज्य सरकार द्वारा मामले में जवाब दाखिल किया जा चुका है तो केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने में क्यों परेशानी हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा 4 सप्ताह का समय मांगे जाने संबंधी हस्तक्षेप याचिका (आईए) को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर निर्धारित की है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से 6 जिलों के डीसी एवं एसपी की ओर से जवाब दाखिल किया गया।

यह जनहित याचिका दानिश की ओर से दाखिल की गई है। दरअसल, बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई के संबंध में हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में संथाल परगना के 6 जिलों के डीसी को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। यहां बता दें कि आदिवासी आबादी 44.67 फीसदी से घट कर अब 28.11 फीसदी रह गई है। वहीं मुस्लिम आबादी 9.44 फीसदी से बढ़ कर 22.73 फीसदी हो गई है। प्रार्थी का आरोप है कि बांग्लादेशी घुसपैठिये का फर्जी आधार और वोटर कार्ड बना रहा है। आदिवासी लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा विवाह कर जमीन पर कब्जा कर रहा है।

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