झारखंड में घुसपैठ से आदिवासियों के धर्मांतरण का चल रहा खेल, इस पर चुप है सरकार ः हाईकोर्ट
रांचीः झारखंड में आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने के मामले पर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर शुक्रवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए दोनों सरकारों को फटकार लगायी। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने मौखिक कहा कि झारखंड में घुसपैठ से आदिवासियों के धर्मांतरण का खेल चल रहा है। लेकिन सरकार चुप है। राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कई मौके दिए गए ,लेकिन सरकार ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया। केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर उदासीन है और अपना जवाब दाखिल नहीं कर रही है।
ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर जनता को दिगभ्रमित कर रहे हैं। अगर जवाब दाखिल नहीं किया गया तो जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अदालत ने मामले की सुनवाई पांच सितंबर को निर्धारित की और दोनों को जवाब दाखिल करने को कहा। अदालत ने इसी मामले के साथ संताल में घुसपैठ से जुड़ी याचिका भी टैग करने का निर्देश दिया और दोनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करने की बात कही।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जिलों में धर्मांतरण को लेकर डाटा जमा कर लिया गया है । इस शपथ पत्र के माध्यम से जल्द दाखिल कर दिया जाएगा। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य एवं केंद्र सरकार से पूछा था कि झारखंड के किन-किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है और इसे रोकने के लिए क्या-क्या कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था।
इस संबंध में सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि झारखंड में धड़ल्ले से आदिवासियों का धर्मांतरण कराया जारहा है। धर्मांतरण की जांच के लिए सरकार को कमेटी का गठन किया जा रहा है। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि राज्य में चंगाई सभा के माध्यम से आदिवासियों को लालच देकर दूसरे धर्म में लाया जा रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।