Ranchi: झारखंड में टेरर फंडिंग के अभियुक्त सुदेश केडिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव व जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की अदालत ने सुदेश केडिया को जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उगाही की रकम का भुगतान करना आतंकी फंडिंग नहीं है। प्रोटेक्शन मनी देने को यह नहीं कहा जा सकता कि उसने प्रतिबंधित संगठन को बढ़ावा देने के लिए फंड दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए सुरेश केडिया को जमानत दे दी।
सुदेश केडिया पर आरोप है कि उसने झारखंड में अपने कोयला परिवहन कारोबार को सही तरीके से चलाने के लिए आतंकी संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के सदस्यों को रकम दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पूरक चार्जशीट से भी यह साफ है कि इस मामले में आतंकी संगठन के सदस्य और आरोपी आम्रपाली और मगध इलाके के बिजनेसमैन से उगाही करते हैं।
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केडिया पर आतंकी संगठन के सदस्यों से मिलने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि सीआरपीसी की धारा-164 के तहत दिए बयान में केडिया ने कहा था कि उसने जिस प्रोटेक्शन मनी का भुगतान किया था, उस संबंध में संगठन के सदस्यों ने उसे तलब किया था।
पीठ ने कहा कि पहली नजर में ही हम इस बात से संतुष्ट नहीं हैं कि संगठन के सदस्यों से मिलने के आधार पर उस पर षड्यंत्र का मामला बनता है।
इसलिए अदालत प्रार्थी सुदेश केडिया को जमानत की सुविधा प्रदान करती है। झारखंड हाई कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद कोयला व्यवसायी सुदेश केडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई थी।
इससे पहले एनआइए की विशेष अदालत ने उनकी जमानत को खारिज कर दिया था। एनआईए ने सुदेश केडिया को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया था। तभी से वे जेल में हैं। चतरा जिले के आम्रपाली कोल परियोजना में अधिकारियों और ट्रांसपोर्टर की मिलीभगत से पैसे की वसूली की जाती थी।
शांति समिति के जरिए किए गए वसूली का कुछ भाग उग्रवादी संगठन टीपीसी को भी दिया जाता था। इसको लेकर टंडवा थाना में इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। बाद में एनआइए ने इस केस को टेकओवर कर लिया और जांच कर रही है।